बढ़ती ब्याज दरों की मार से छोटे और बड़े, दोनों उद्योगों को जूझना पड़ रहा है। ऊंची ब्याज दरों की वजह से ज्यादातर कंपनियों को अपनी विस्तार योजनाओं पर फिर से विचार करना पड़ रहा है।
कई कंपनियों को विस्तार योजनाओं की रफ्तार धीमी करनी पड़ी है, वहीं कुछ को वैकल्पिक स्रोतों से धन की व्यवस्था करनी पड़ रही है। मुंबई स्थित इस्पात कंपनी जेएसडब्ल्यू ने बंगाल में 15,000 करोड़ रुपये की लागत से प्रस्तावित स्टील परियोजना को अब चरणबद्ध तरीके से पूरा करने का लक्ष्य तय किया है।
पहला चरण 4,000 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2011 तक पूरा किया जाएगा। कंपनी के सीएफओ शेषागिरि राव ने बताया कि पहले चरण में कंपनी कच्चे माल की उपलब्धता पर ध्यान देगी। सड़क, बंदरगाह, ऊर्जा और एयरपोर्ट, सभी के विकास-विस्तार पर ब्याज दरों की गाज गिरी है। भार सीधे डेवलपर्स पर पड़ता है।
पहले बैंक 11 से 12 फीसदी की दर से लोन देते थे, लेकिन अब यह 14 फीसदी की दर पर उपलब्ध है। मुंबई स्थित कंस्ट्रक्शन कंपनी एचसीसी लिमिटेड के सीएफओ प्रवीण सूद का कहना है कि मुद्रास्फीति 13 फीसदी तक पहुंच सकती है, ऐसे में ब्याज दरों में अभी 1 से 1.5 फीसदी और इजाफा हो सकता है।
कंपनी का कहना है कि दिल्ली के बदरपुर में बनने वाले एलिवेटेड फ्लाईओवर की लागत में ब्याज दरों के बढ़ने से काफी इजाफा हुआ है। इसी तरह बिजली और बंदरगाह परियोजनाओं पर भी ब्याज दरों की मार पड़ी है। इससे निर्माण कंपनियों को काफी नुकसान हो रहा है।
जीवीके के सीएफओ इशाक जॉर्ज का कहना है कि ब्याज दरों में इजाफे से कंपनियों के मुनाफे पर काफी असर पड़ेगा। जीवीके की सड़क और बिजली परियोजनाओं पर भी इसका असर पड़ना तय है, क्योंकि कंपनी को वेरिएबल दरों पर कर्ज लेना पड़ रहा है।
छोटी कंपनियों की स्थिति भी इससे अलग नहीं है। मुंबई स्थित हीरे के निर्यातक रत्नराज डायमंड अपनी कंपनी की विस्तार योजनाओं को ऊंची ब्याज दरों के कारण फिलहाल ठंडे बस्ते में डालने को विवश हो गए हैं। कंपनी के सीईओ शैलिन मेहता ने बताया कि ऊंची ब्याज दर के कारण कंपनी 40-50 लाख रुपये की लागत से वाली लेजर कटिंग मशीन खरीदने का इरादा फिलहाल टाल दिया है।
दिल्ली के युवा उद्यमी रजत तुली और राहुल आनंद, जो लाइफ स्टाइल गिफ्ट का कारोबार करते हैं, उन्होंने भी अपनी विस्तार योजनाओं पर ब्रेक लगाने का इरादा किया है। पहले इनका इरादा 11 दुकानें खोलने का था, लेकिन ऊंची ब्याज दरों के कारण वे केवल 4 दुकानें ही खोल पाए।
उनका कहना है कि पहले पर्सनल लोन 14-16 फीसदी की दर से उपलब्ध थी, जो बढ़कर 18-19 फीसदी हो गई है। ऐसे में कर्ज लेना फायदे का सौदा नहीं रहा गया है। तुली ने बताया कि कंपनी फंड के लिए 5 फीसदी शेयर बेचने का इरादा किया है।
ऊंची ब्याज दरों के कारण परियोजनाओं के लिए पूंजी जुटाना हुआ मुश्किल
छोटी-बड़ी सभी कंपनियों पर पड़ रही मार
कई कंपनियों ने विस्तार योजनाओं को डाला ठंडे बस्ते में
बैंकों के अलावा, अन्य स्रोतों से पूंजी की व्यवस्था में जुटे उद्यमी