अनिल अंबानी समूह की कंपनी रिलायंस पावर की अगर एक और अल्ट्रा मेगा बिजली परियोजना (यूएमपीपी) हासिल करने की मंशा है, तो वह अधूरी रह सकती है। दरअसल यूएमपीपी आवंटित करने की प्रक्रिया पर फिर से विचार कर सकती है।
सरकार की ओर से ऐसे संकेत तब आए हैं जब पिछले हफ्ते ही रिलायंस पावर ने झारखंड के तिलैया में प्रस्तावित पिटहेड कोयला आधारित 4,000 मेगावाट क्षमता वाला यूएमपीपी झटकने में कामयाबी हासिल की है।
अभी तक आवंटित किए गई चार यूएमपीपी परियोजनाओं में रिलायंस की झोली में तीन परियोजनाएं चली गई हैं। जिससे इस क्षेत्र में एक ही कंपनी का दबदबा बढ़ने का अंदेशा जताया जा रहा है। इसके चलते अब सरकार में कंपनी को एक परियोजना देने की योजना पर फिर से विचार चल रहा है।
वाणिज्य और ऊर्जा राज्य मंत्री जयराम रमेश ने इस मामले में कहा कि यूएमपीपी आवंटित करने के मामले में व्यावहारिक पहलू का ध्यान रखते हुए एक दायरा तय करना होगा ताकि किसी कंपनी विशेष के पास ज्यादा यूएमपीपी परियोजना न चली जाएं।
दूसरी ओर कुछ लोग इस प्रस्ताव का जोर शोर से विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वाली लॉबी का मानना है कि यह कंपनियों पर छोड़ देना चाहिए कि वह संबंधित परियोजना को पूरा करने के लिए जरूरी आर्थिक और तकनीकी अहर्ताएं रखती हैं या नहीं।
रिलायंस 1.77 रुपये की सबसे कम बोली के साथ तिलैया यूएमपीपी को हासिल करने में सफल हुई थी। इससे पहले रिलायंस आंध्र प्रदेश के कृष्णपट्टनम और मध्य प्रदेश कें सासन में यूएमपीपी अपनी झोली में डाल चुकी है।
सरकार ने अभी तक चार यूएमपीपी आवंटित किए हैं जिनमें से तीन रिलायंस के पास चले गए हैं और मुंद्रा का यूएमपपी टाटा पावर के पास है।
रिलायंस के इस वर्चस्व पर एक अकाउंटिंग और कंसल्टेंसी फर्म के वरिष्ठ विश्लेषक कहते हैं, ‘अगर एक कंपनी अतिरिक्त यूएमपीपी के लिए बोली लगाती है तब इसके लिए नियम बदले जाने चाहिएं।
पिछली बार मंत्रियों के समूह ने अहर्ता बढ़ाने के लिए जो बदलाव किए थे वह एक परियोजना के लिए बनाए थे लेकिन वही नियम तीन परियोजनाओं के लिए लगाई बोली तक कायम हैं।’
कुछ लोग इस बात को लेकर आशंकित हैं कि देश में बिजली उत्पादन में निजी क्षेत्र की किसी एक कंपनी का एकाधिकार न हो जाए।
लेकिन कुछ कहते हैं कि सरकार के बजाय कंपनी को ही इस मामले में संख्या तय करना चाहिए। केपीएमजी में सलाहकार सेवा के कार्यकारी निदेशक अरविंद महाजन कहते हैं, ‘अभी ऐसी स्थिति नहीं आई है।’
रिलायंस पावर के मुताबिक तिलैया परियोजना के लिए कंपनी जल्द ही वित्तीय प्रदर्शन गारंटी के तौर पर 600 करोड़ रुपये जमा करने जा रही है।
उम्मीद की जा रही है कि अगले वित्तीय वर्ष की पहली छमाही में सरकार चेयूर (तमिलनाडु), मुंगे(महाराष्ट्र) और सुंदरगढ़ (उड़ीसा) में यूएमपीपी परियोजना के लिए बोली आमंत्रित करने वाली है।
कसेगी लगाम
चार में से तीन यूएमपीपी रिलायंस के पास
बिजली क्षेत्र में एक कंपनी के दबदबे की आशंका विशेषज्ञ हैं इस मुद्दे पर दोफाड़
जल्द ही तीन और परियोजनाओं के लिए लगेगी बोली