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Wage Disparity: 2012-22 के दौरान आई वास्तविक वेतन में कमी

नियमित वेतन पर काम करने वालों का औसत वास्तविक मासिक वेतन 2022 में घटकर 10,925 रुपये रह गया है, जो 2012 में 12,100 रुपये था।

Last Updated- April 01, 2024 | 10:52 PM IST
salary- सैलरी

अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) और इंस्टीट्यूट फॉर ह्यूमन डेवलपमेंट (आईएचडी) द्वारा तैयार की गई ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 2022 तक पिछले एक दशक में नियमित वेतनभोगी कर्मचारियों की वास्तविक कमाई हर साल 1 प्रतिशत कम हुई है। इससे महामारी के संभावित बुरे असर और खराब गुणवत्ता के रोजगार के संकेत मिलते हैं।

नियमित वेतन पर काम करने वालों का औसत वास्तविक मासिक वेतन 2022 में घटकर 10,925 रुपये रह गया है, जो 2012 में 12,100 रुपये था। आईएलओ ने सरकार के आधिकारिक आंकड़ों का इस्तेमाल करके इसकी गणना की है। शहरी इलाकों में वेतन, ग्रामीण इलाकों की तुलना में और तेजी से कम हुआ है।

शहरी इलाकों में मासिक वेतन 2012 में 13,616 रुपये था जो घटकर 12,616 रुपये रह गया है। वहीं पिछले महीने जारी भारतीय रोजगार रिपोर्ट 2024 के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में मासिक वेतन इस अवधि के दौरान 8,966 रुपये से घटकर 8,623 रुपये रह गया।

नियमित मजदूरी या वेतन पर काम करने वालों में ऐसे लोग शामिल होते हैं, जिनके काम की अवधि तुलनात्मक रूप से अच्छी होती है और जिन्हें सामान्यतया साप्ताहिक या मासिक आधार पर वेतन मिलता है। इसमें सरकारी कर्मचारी, आशा कर्मचारी, घर में काम करने वाले श्रमिक, गार्ड, निजी क्षेत्र में काम कर रहे लोग शामिल होते हैं, जिनका रोजगार बेहतर माना जाता है।

आईएचडी के डायरेक्टर अलख एन शर्मा ने कहा कि नियमित कर्मचारियों सरकार के कर्मचारी तुलनात्मक रूप से बहुत कम हैं और उनका वेतन बढ़ा है। लेकिन व्यापक रूप से निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारियों का वेतन स्थिर रहा है।

उन्होंने कहा, ‘कम कुशल नियमित कर्मचारी जैसे गार्ड, घरेलू नौकर, की कमाई स्थिर रही है और उनके नियोक्ताओं ने तुलनात्मक रूप से वेतन नहीं बढ़ाया है। दूसरे, शहरी इलाकों में निजी क्षेत्र में वृद्धि हो रही है, लेकिन वहां कर्मचारियों को उसका लाभ नहीं मिला है।’

रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में नियमित कर्मचारियों में करीब 39 प्रतिशत का वास्तविक वेतन 5,001 से 10,000 रुपये रहा है, जबकि करीब 23 प्रतिशत की कमाई 2,001 रुपये से 5,000 रुपये के बीच रही है। सिर्फ 14.9 प्रतिशत नियमित कर्मचारियों की कमाई 2022 में 20,000 रुपये से ज्यादा रही है जबकि 2012 में17.1 प्रतिशत लोगों की कमाई इससे ज्यादा थी।

इसी तरह से रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्वरोजगार में लगे व्यक्तियों की औसत वास्तविक कमाई सालाना 0.8 प्रतिशत घटकर 2022 में 6,843 रुपये रह गई है, जो 2019 में 7,017 रुपये थी। हालांकि अस्थायी कर्मचारियों की वास्तविक मासिक मजदूरी औसतन 2.4 प्रतिशत बढ़ी है और यह 2012 के 3,701 रुपये से बढ़कर 2022 में 4,712 रुपये हो गया है।

स्वरोजगार की श्रेणी में शामिल लोगों की संख्या सबसे विषम श्रेणी में शामिल है। यह भारत में कामकाजी लोगों की सबसे बड़ी आबादी है और करीब 55 प्रतिशत लोग स्वरोजगार में लगे हैं। इसमें चिकित्सक, अध्यापक, वकील, कृषि श्रमिक, वेंडर, हॉकर, छोटे कारोबार के मालिक, घरेलू उद्यम में मुफ्त काम करने वाले शामिल होते हैं। वहीं अस्थायी कर्मचारियों में ऐसे लोग शामिल होते हैं, जिन्हें रोजाना भुगतान मिलता है, इनमें मनरेगा में काम करने वाले, औद्योगिक श्रमिक, निर्माण श्रमिक आदि होते हैं।

First Published - April 1, 2024 | 10:52 PM IST

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