भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वित्त वर्ष 2009-10 के लिए घोषित अपनी सालाना मौद्रिक नीति में रेपो और रिवर्स रेपो दरों में 0.25 फीसदी की कटौती से आवास और कॉरपोरेट उधारी की दरों में कमी किए जाने की संभावना बढ़ गई है।
विभिन्न बैंकों, वित्तीय संस्थाओं आदि ने केंद्रीय बैंक की इस पहल को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया व्यक्त की है। पेश है कुछ बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों की प्रतिक्रिया:
‘आरबीआई की इस नीतिगत पहल से ब्याज दरों में कमी की संभावना बढ़ गई है। ओरिएंटल बैंक के कार्यकारी निदेशक एस. सी. सिन्हा ने कहा कि बैंक अपनी परिसंपत्ति देनदारी की स्थितियों की समीक्षा के बाद अपनी ऋण और जमा दरों में कटौती करेंगे। हो सकता है कि इस पर तुरंत अमल न किया जाए, लेकिन ऋण और जमा दरों में कटौती की गुंजाइश काफी बढ़ गई है।’
एस. सी. सिन्हा
कार्यकारी निदेशक – ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स
‘जमा और ऋण दर एक साथ कम होगी। आरबीआई सभी बैंकों को यही संकेत दे रहा है। आरबीआई की दरों में कटौती से प्रभावी ऋण दरों में कमी आएगी। साथ ही जमा दर में भी कटौती होगी।’
ए सुब्रमणयन
कार्यकारी निदेशक, इंडियन बैंक
‘हमने पहले ही यह कहा था कि सालाना मौद्रिक नीति के बाद बैंक ब्याज दरों पर विचार करेंगे। आरबीआई ने बैंकों के लिए ब्याज दरों में कटौती की काफी गुंजाइश छोड़ी है।’
एस. के. गोयल
अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, यूको बैंक
‘यह एक अप्रत्याशित कटौती है। उन्होंने वृद्धि लक्ष्य को संशोधित किया है। वे इस तथ्य को पुन: दोहरा चुके हैं कि ऋण निकासी नहीं हो रही है। मेरा मानना है कि यह कुछ चिंताजनक है। लेकिन स्थिति में कुछ सुधार आया है। शॉर्ट-ऐंड और अन्य कर्ज 0.25-5 फीसदी तक कम होगा। लॉन्ग-ऐंड अस्थिर बना रहेगा, क्योंकि यह आपूर्ति और मांग पर निर्भर करेगा।’
आशीष निगम
प्रमुख (फिक्स्ड इनकम) – रेलिगेयर एसेट मैनेजमेंट
‘यह नीति मौजूदा माहौल के मुताबिक है। लोग इस सांकेतिक कटौती की उम्मीद कर रहे थे। मेरा मानना है कि बाजार अब स्थिर दिख रहे हैं और यह बॉन्ड बाजार के लिए सकारात्मक है। मुझे उम्मीद है कि अब 10 वर्ष में बॉन्ड रिटर्न 6 फीसदी के नजदीक आ सकता है।’
महेंद्र जाजू
प्रमुख (फिक्स्ड इनकम), टाटा ऐसेट मैनेजमेंट
‘आरबीआई द्वारा दरों में की गई कटौती इस केंद्रीय बैंक द्वारा नरम मौद्रिक रुख को जारी रखे जाने पर जोर देती है। हम सावधि आय बाजार के सकारात्मक बने रहने की उम्मीद कर रहे हैं और निकट भविष्य में 10 वर्षीय में 6.10 फीसदी के स्तर की ओर देख रहे हैं।’
शोभित गुप्ता
पोर्टफोलियो प्रबंधक (फिक्स्ड इनकम) – आईएनजी इन्वेस्टमेंट्स
‘बॉन्ड बाजार में रैली की संभावना व्याप्त है। जीडीपी के महज 6 फीसदी के विकास अनुमान के कारण आगामी महीनों में दर में और कटौती की संभावना है।’
मूर्ति नागराजन
प्रमुख (फिक्स्ड इनकम), मिरई एसेट
‘रेपो और रिवर्स रेपो दरों में कटौती का कदम सही दिशा में उठाया गया है, लेकिन इससे ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। हमारा मानना है कि जीडीपी की विकास दर 6 फीसदी से कम रहेगी।’
पारिजात अग्रवाल
प्रमुख (फिक्स्ड इनकम)
एसबीआई फंड्स मैनेजमेंट
