यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे का गणित बिगाड़ सकती है। सोमवार को मैक्वेरी की एक रिपोर्ट में यह अनुमान व्यक्त किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि यूपीएस की घोषणा के बाद चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा बजट के 4.9 प्रतिशत अनुमान से बढ़कर 5.1 प्रतिशत तक पहुंच सकता है।
माना जा रहा है कि यूपीएस से सरकार के खजाने पर 45,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आ सकता है। मैक्वेरी की रिपोर्ट में कहा गया है, ‘कैबिनेट सचिव नियुक्त टी वी सोमनाथन का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में यूपीएस से 8,250 करोड़ रुपये का बोझ सरकारी खजाने पर आएगा मगर अन्य खबरों के अनुसार यह रकम 40,000 से 45,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
इस तरह, राजकोषीय घाटा पर इसका 15 आधार अंक तक असर हो सकता है।’ इन नई पेंशन योजना के अंतर्गत कर्मचारी कर्मचारियों का अंशदान में कोई बदलान नहीं किया जाएगा और यह मूल वेतन एवं महंगाई भत्ते का 10 प्रतिशत ही रहेगा। मगर सरकार का अंशदान मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़कर 18.5 प्रतिशत हो जाएगा।
सोमनाथन ने कहा है, ‘सरकार का अंशदान 18.5 प्रतिशत बढ़ने से पहले वर्ष केंद्र पर 6,250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ आएगा और एकमुश्त व्यय के मद में 800 करोड़ रुपये खर्च होंगे।’ मैक्वेरी की रिपोर्ट के अनुसार, ‘यह चिंता का विषय है। भारत अगर आर्थिक सुधारों के मार्ग से भटकता है तो वह मध्य-आय वाला देश ही बनकर रह जाएगा।’