भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) के अग्रणी भुगतान प्लेटफॉर्म यूनीफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) की वित्त वर्ष 2021 में हुए समग्र खुदरा भुगतानों में हिस्सेदारी 10 फीसदी हो गई। इसमें आरटीजीएस शामिल नहीं है। यह जानकारी मैक्वेरी रिसर्च की एक रिपोर्ट से सामने आई है। रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2017 से वित्त वर्ष 2021 के बीच यूपीआई ने 400 फीसदी की सालाना चक्रवृद्घि दर (सीएजीआर) से वृद्घि की है।
कुछ वर्ष पहले तक समग्र खुदरा भुगतानों में यूपीआई की हिस्सेदारी महज 2 फीसदी थी। यूपीआई को 2016 में लॉन्च किया गया था। खुदरा भुगतान के क्षेत्र में देर से उतरने के बावजूद वित्त वर्ष 2021 में इसके जरिये होने वाले सालाना भुगतान का मूल्य 41 लाख करोड़ रुपये रहा। यह रकम प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस) पर क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से संयुक्त रूप से होने वाले भुगतान से 2.8 गुना और प्रीपेड भुगतान माध्यमों से होने वाले भुगतान से करीब 20 गुना अधिक है। शोध रिपोर्ट में कहा गया, ‘एक ओर जहां वित्त वर्ष 2017 के बाद से यूपीआई की हिस्सेदारी 10 फीसदी पर पहुंच गई है वहीं प्रीपेड भुगतान माध्यमों (वॉलेट, प्रीपेड कार्ड आदि) की हिस्सेदारी बहुत कम स्तर पर बनी हुई है। समग्र भुगतानों में इनकी हिस्सेदारी 0.5 से कम है।’
वित्त वर्ष 2021 में मात्रा के लिहाज से यूपीआई से सबसे अधिक संख्या में लेनदेन हुए। ऐसा पारस्परिकता, ओपन सोर्स प्लेटफॉर्म, उपयोग में आसानी और शून्य मर्चेंट डिस्काउंट दरों के कारण से संभव हुआ है। वित्त वर्ष 2021 में यूपीआई के जरिये मात्रा के लिहाज से 22.3 अरब लेनदेन हुए जिनका मूल्य 41 लाख करोड़ रुपये रहा। भले ही महमारी के शुरुआती महीनों में लेनदेनों की संख्या में गिरावट देखी गई लेकिन कुछ ही समय बाद इसने दोबारा से लय हासिल कर लिया और अर्थव्यवस्था के खुलने के साथ ही यह हर महीने एक नई ऊंचाई पर पहुंचता गया।