ब्रिटिश सरकार ने आज भारत की हरित परियोजनाओं और अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में सार्वजनिक व निजी निवेश के 1.2 अरब डॉलर के पैकेज की घोषणा की है। दोनों देशों के बीच 11वें आर्थिक और वित्तीय संवाद (ईएफडी) में ब्रिटेन के वित्त मंत्री ऋषि सुनक और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी घोषणा की।
उन्होंने क्लाइमेट फाइनैंस लीडरशिप इनीशियेटिव (सीएफएलआई) इंडिया पार्टनरशिप भी पेश किया है, जिसका मकसद भारत में टिकाऊ बुनियादी ढांचे में निजी पूंजी को प्रोत्साहित करना है। ब्रिटिश उच्चायोग (बीएचसी) ने एक सार्वजनिक बयान में कहा है कि इन निवेशों से भारत को 2030 तक 450 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी। सीएफएलआई के तहत प्रमुख वित्तीय इंस्ट्रूमेंट का एक समूह भारत में टिकाऊ बुनियादी ढांचे में निजी पूंजी आकर्षित करेगा, जिसमें स्वच्छ ऊर्जा जैसे पवन और सौर ऊर्जा व अन्य हरित तकनीकें शामिल हैं।
इसकी अध्यक्षता यूएन के जलवायु लक्ष्यों और समाधान के विशेष दूत माइकल ब्लूमबर्ग करेंगे। एक बयान में कहा गया है, आज के ईएफडी में चांसलर और वित्त मंत्री आगामी ब्रिटेन-भारत व्यापार वार्ता में भी सेवाओं पर विचार करने को लेकर भी सहमत हुए हैं, जो ब्रिटेन की वित्तीय फर्मों के लिए नए अवसर पैदा करेगी और लंदन में वित्त तक पहुंच में ज्यादा भारतीय कंपनियों को मदद मिल सकेगी।
अरब डॉलर के पैकेज में सीडीसी से 1 अरब डॉलर निवेश शामिल है, जिसका निवेश 2022 से 2026 के बीच भारत की हरित परियोजनाओं में होगा। सीडीसी का पहले ही भारत में निजी क्षेत्र के निवेश में 1.99 अरब डॉलर का पोर्टफोलियो है। इस साझेदारी में ब्रिटेन और भारत द्वारा एक संयुक्त कोष के गठन का भी प्रस्ताव किया गया है, जो उन कंपनियों में निवेश की पेशकश करेगा, जो नवोन्मेषी हरित टेक सॉल्यूशंस की पेशकश करती हैं।