घरेलू मांग में नरमी की चर्चा के बीच भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ रिपोर्ट में निजी खपत में सुधार और रबी फसल की अच्छी पैदावार की संभावना से वृद्धि की गति बरकरार रहने का भरोसा जताया गया है। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया है कि प्राथमिक खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने और मुख्य मुद्रास्फीति में वृद्धि के संकेत हैं और यह अनियंत्रित होता है तो वास्तविक अर्थव्यवस्था की वृद्धि को नुकसान हो सकता है। अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति 6.21 फीसदी रही, जो केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से ऊपर है।
आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्र सहित आरबीआई के अधिकारियों द्वारा तैयार इस रिपोर्ट में कहा गया है, ‘खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेजी के साथ मुख्य मुद्रास्फीति बढ़ना चिंताजनक है। प्राथमिक खाद्य कीमतों में तेजी के शुरुआती संकेत के बाद खाद्य तेलों और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की कीमतों में भी तेजी देखी जा रही है।’ रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह आरबीआई के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि वस्तुओं और सेवाओं की इनपुट लागत और बिक्री कीमतों पर सावधानीपूर्वक नजर रखने की जरूरत है। रिपोर्ट के अनुसार, ‘मुद्रास्फीति पहले से ही शहरी उपभोग मांग और कंपनियों की आय तथा पूंजीगत खर्च को प्रभावित कर रही है। अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो वास्तविक अर्थव्यवस्था, खास तौर पर उद्योग तथा निर्यात की संभावनाओं पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।’
वृद्धि दर के मुद्दे पर रिपोर्ट में कहा गया है कि जुलाई-सितंबर में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती अब बीते दिनों की बात है और मध्यम अवधि का परिदृश्य मजबूत बना हुआ है। निजी खपत मांग से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिल रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि त्योहारी खर्च से तीसरी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आई है। ग्रामीण भारत इस त्योहारी सीजन में ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए सोने की खान के रूप में उभरा है। रिपोर्ट के अनुसार खरीफ उत्पादन में तेज वृद्धि और रबी उत्पादन बेहतर रहने से आर्थिक गतिविधियों में और तेजी आने की उम्मीद है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत का निर्यात परिदृश्य अच्छा दिख रहा है। विनिर्मित वस्तुओं के लिहाज से वैश्विक व्यापार में भरत की हिस्सेदारी बढ़ रही है। रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्तमान में पेट्रोलियम उत्पादों में भारत की वैश्विक बाजार हिस्सेदारी 13 फीसदी है और बहुमूल्य रत्नों का सबसे बड़ा निर्यातक है।
इसी तरह भारत कीटनाशकों का तीसरा सबसे बड़ा निर्यातक और रबर टायरों का आठवां सबसे बड़ा निर्यातक है। सेमीकंडक्टर निर्यात के मामले में भारत वैश्विक स्तर पर 9वें स्थान पर है।
बैंकिंग क्षेत्र पर टिप्पणी करते हुए रिपोर्ट में क्रेडिट कार्ड जैसे खुदरा ऋण में निजी क्षेत्र के बैंकों पर बढ़ रहे दबाव का जिक्र किया गया है। इसमें कहा गया है कि निजी क्षेत्र के कई बैंकों ने छोटे आकार के ऋणों, क्रेडिट कार्ड तथा पर्सनल लोन की वसूली अटकने का खटका जताया है।