केंद्र सरकार ने सोमवार को दूसरी अनुपूरक अनुदान मांग के जरिये 51,463 करोड़ रुपये के शुद्ध नकद व्यय सहित 6,78,508 करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय के लिए संसद से मंजूरी मांगी है।
इस सकल अतिरिक्त व्यय की भरपाई मंत्रालयों और विभागों 6,27,044.57 करोड़ रुपये की बचत अथवा बढ़े हुए राजस्व तथा वसूली से हो जाएगी, जिससे राजकोषीय घाटे पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।
वित्त मंत्रालय ने 67 लाख रुपये के सांकेतिक प्रावधान की भी मांग की है, जो व्यय के प्रत्येक मद के लिए एक लाख रुपये है ताकि नई सेवा या सेवा के नए साधन से जुड़े मामलों में बचत का पुनर्विनियोजन किया जा सके।
दूसरे बैच में 514.6 अरब रुपये के शुद्ध नकद व्यय का 85 फीसदी से अधिक हिस्सा उर्वरक सब्सिडी, दूरसंचार विभाग, रक्षा पेंशन और एकीकृत पेंशन योजना सहित अन्य पेंशन पर होगा। अतिरिक्त व्यय में उर्वरक सब्सिडी के लिए 12,000 करोड़ रुपये और एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) सहित सरकारी कर्मचारियों की पेंशन के लिए 13,449 करोड़ रुपये शामिल हैं। कुल खर्च में 8,476 करोड़ रुपये की रक्षा पेंशन और दूरसंचार विभाग को 5,322 करोड़ रुपये दिया जाना भी शामिल हैं।
पहली अनुपूरक अनुदान मांगों में करीब 87,762 करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय को मंजूरी दी गई थी, जिसमें 44,123 करोड़ रुपये का शुद्ध नकद व्यय शामिल था।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘हमें लगता है कि अन्य मदों में व्यय में बचत से दूसरे बैच में होने वाली शुद्ध व्यय को आधार मिलेगा तथा यह संशोधित लक्ष्य के मुकाबले वित्त वर्ष 2025 में भारत सरकार के कुल व्यय में किसी भी तरह की तेज बढ़ोतरी को रोकेगी।’
जानकारों का कहना है कि दूसरे अग्रिम अनुमान में नॉमिनल जीडीपी में 2.1 फीसदी की वृद्धि का अनुमान सरकार को वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटे को जीडीपी के 4.8 फीसदी पर सीमित रखने की गुंजाइश प्रदान कर रहा है। भले ही अतिरिक्त खर्च राजकोषीय घाटे के आंकड़े को बढ़ाकर 15.7 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान के पार ले जाए।
नायर ने कहा, ‘कुल मिलाकर हमें उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2025 में राजकोषीय घाटा जीडीपी के 4.7 फीसदी पर रहेगा, जो वित्त वर्ष के संशोधित अनुमान से थोड़ा कम होगा।’