facebookmetapixel
दक्षिण भारत के लोग ज्यादा ऋण के बोझ तले दबे; आंध्र, तेलंगाना लोन देनदारी में सबसे ऊपर, दिल्ली नीचेएनबीएफसी, फिनटेक के सूक्ष्म ऋण पर नियामक की नजर, कर्ज का बोझ काबू मेंHUL Q2FY26 Result: मुनाफा 3.6% बढ़कर ₹2,685 करोड़ पर पहुंचा, बिक्री में जीएसटी बदलाव का अल्पकालिक असरअमेरिका ने रूस की तेल कंपनियों पर लगाए नए प्रतिबंध, निजी रिफाइनरी होंगी प्रभावित!सोशल मीडिया कंपनियों के लिए बढ़ेगी अनुपालन लागत! AI जनरेटेड कंटेंट के लिए लेबलिंग और डिस्क्लेमर जरूरीभारत में स्वास्थ्य संबंधी पर्यटन तेजी से बढ़ा, होटलों के वेलनेस रूम किराये में 15 फीसदी तक बढ़ोतरीBigBasket ने दीवाली में इलेक्ट्रॉनिक्स और उपहारों की बिक्री में 500% उछाल दर्ज कर बनाया नया रिकॉर्डTVS ने नॉर्टन सुपरबाइक के डिजाइन की पहली झलक दिखाई, जारी किया स्केचसमृद्ध सांस्कृतिक विरासत वाला मिथिलांचल बदहाल: उद्योग धंधे धीरे-धीरे हो गए बंद, कोई नया निवेश आया नहींकेंद्रीय औषधि नियामक ने शुरू की डिजिटल निगरानी प्रणाली, कफ सिरप में DEGs की आपूर्ति पर कड़ी नजर

62 हजार करोड़ की कर चोरी पकड़ी

Last Updated- December 18, 2022 | 11:16 PM IST
gst penalty

कर अधिकारियों ने फर्जी रसीद का इस्तेमाल करके 62,000 करोड़ रुपये की वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की चोरी (या धोखाधड़ी) के मामले पकड़े हैं। केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क (सीबीईआईसी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा है कि कर चोरी के ये मामले पिछले 3 साल के हैं। यह एक प्राथमिक वजह है, जिसके कारण सरकार ने जीएसटी परिषद की शनिवार को हुई बैठक में इस तरह के अपराधों को 2 करोड़ रुपये की मौद्रिक सीमा से बाहर रखा है।

केंद्र के स्तर के जीएसटी अधिकारियों ने 2020 से अब तक ऐसे मामलों में 1,030 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने इनपुट टैक्स क्रेडिट से बचने के लिए अवैध रूप से फर्जी इनवाइस का इस्तेमाल किया। इस तरह के मामलों की संख्या और धनराशि और ज्यादा हो सकती है क्योंकि राज्य से जुड़े मामले इससे अलग हैं।

उपरोक्त अधिकारी ने कहा, ‘ऐसे बेईमान व्यापारी हैं, जो फर्जी ईवे बिल से माल की आवाजाही करते हैं, फर्जी इनवाइस बनाते हैं। ऐसी संस्थाएं कई राज्यों में पंजीकृत हैं और इनकी संख्या बदलती रहती हैं, ऐसे में उनकी पहचान कर पाना कठिन होता है।’

शनिवार को जीएसटी परिषद ने जीएसटी के तहत विभिन्न अपराधों की कार्यवाही की पहल के लिए धनराशि की सीमा बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये कर दिया था, जिसमें फर्जी रसीद के मामले शामिल नहीं किए गए हैं। सरकार ने अपराधीकरण को खत्म करने के अभियान के तहत यह फैसला किया है।

इस समय अगर कर चोरी संबंधी मामले की धनराशि 2 करोड़ रुपये से ज्यादा है (लेकिन 5 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं है) तो 3 साल की जेल की सजा का प्रावधान है। अगर कर चोरी का मामला 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है, लेकिन 2 करोड़ रुपये से ज्यादा नहीं है तो एक साल की सजा का प्रावधान है। इसकी प्रभावी तिथि बजट सत्र में आने की संभावना है।

परिषद के अधीन काम करने वाली कानून समिति ने इस सीमा को बढ़ाने का सुझाव देते हुए कहा था कि फर्जी रसीद पर रोक लगाने और इस तरह की फर्जी और गैर मौजूदा इकाइयों द्वारा इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने पर नियंत्रण पाने के लिए यह जरूरी है कि इस तरह के अपराधों के मास्टरमाइंड को किसी भी कीमत पर बर्दाश्त न किया जाए, जो सीजीएसटी अधिनियम की धारा 138 (मौद्रिक सीमा से संबंधित) के तहत मिलने वाले लाभों का दुरुपयोग करते हैं।

उन्होंने कहा कि कंपाउंडिंग प्रावधान असली और मौजूदा व्यापारियों के साथ होने वाली कानूनी कार्रवाई कम करने के लिए है, जिन्होंने अपराध किया है, लेकिन अपने कामकाज को साफ करने और आगे कानून के मुताबिक कारोबार करने को तैयार हैं।
रिपोर्ट में में आगे कहा गया है कि कंपाउंडिंग प्रावधानों से शातिर लोगों को फर्जी संस्थाएं बनाने और फर्जी इकाई बनाने व जानबूझकर आर्थिक धोखाधड़ी करने का मौका भी मिल सकता है। इस तरह से इस श्रेणी के लोगों को अपराधों से मुक्त करने की प्रक्रिया से बाहर रखे जाने की जरूरत है।

जीएसटी प्राधिकारियों ने इस साल की शुरुआत में जीएसटीआर-1 की क्रमिक फाइलिंग की व्यवस्था (मासिक/तिमाही रिटर्न) और जीएसटीआर-3बी (भुगतान की गई जीएसटी के साथ माह के दौरान आपूर्ति) की व्यवस्था पेश की थी, जिससे कि फर्जी इनवाइस को रोका जा सके। इसके लिए परिषद ने मंत्रियों का एक समूह बनाया था, जिसे जीएसटी व्यवस्था को मजबूत बनाने पर रिपोर्ट देनी थी।

समूह के अध्यक्ष और महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजित पवार ने जून की परिषद की बैठक में अपनी रिपोर्ट दी थी। इस समय जीएसटी नेटवर्क मंत्रिसमूह की सिफारिशों के मुताबिक एक व्यवस्था विकसित कर रहा है, जिससे आवेदन से मेटा डेटा हासिल करने में मदद मिलेगी और संबंधित यूटिलिटी वेबसाइट से इसकी ऑनलाइन पुष्टि हो सकेगी।

ऑनलाइन गेमिंग पर कर

शनिवार की जीएसटी परिषद की बैठक में ऑनलाइन गेमिंग पर बहुप्रतीक्षित रिपोर्ट नहीं शामिल की गई, जिसका लंबे समय से इंतजार हो रहा है। इसकी वजह यह है कि रिपोर्ट परिषद के सामने देरी से पेश की गई। बहरहाल सीबीआईसी की राय है कि इस क्षेत्र पर 28 प्रतिशत जीएसटी जारी रखा जाना चाहिए।

First Published - December 18, 2022 | 10:53 PM IST

संबंधित पोस्ट