कर संग्रह कुछ ऐसे मानदंडों में शामिल रहा जिनमें चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान महामारी से पूर्व के स्तर से अधिक वृद्घि हुई है। वित्त वर्ष 2022 के अप्रैल से जुलाई के दौरान राज्यों को हस्तांतरण से पूर्व केंद्र के कुल कर संग्रह में वित्त वर्ष 2020 की समान अवधि के मुकाबले 29 फीसदी की वृद्घि हुई है।
वित्त वर्ष 2021 के मुकाबले संग्रहों में 83 फीसदी की वृद्घि हुई है लेकिन यह तुलना भ्रामक है क्योंकि पिछले वर्ष कर संग्रह में 30 फीसदी की गिरावट आई थी।
विशेषज्ञ कोविड से पूर्व के मुकाबले अधिक वृद्घि के लिए आर्थिक रिकवरी, कोविड के बाद अब संगठित क्षेत्र के साथ साथ असंगठित क्षेत्र के बेहतर प्रदर्शन और कर प्रशासन तथा अनुपालन नियमों में सुधार को इसका कारण बताते हैं। कर अधिकारियों ने अधिक संग्रह का श्रेय अर्थव्यवस्था की औपचारिकता में वृद्घि को दिया है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में सूचीबद्घ कॉर्पोरेट घरानों ने सालाना आधार पर राजस्व में तेज रिकवरी दर्ज की जिससे स्वाभाविक तौर पर प्रत्यक्ष करों में सुधार को दम मिला। जबकि छोटे और कम औपचारिक इकाइयों का प्रदर्शन कमजोर बना हुआ है।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने इस वृद्घि का कारण खपत में बढ़ोतरी को बताया है। उन्होंने कहा, ‘चूंकि लॉकडाउन में ढील दिए जाने या हटाये जाने से अर्थव्यवस्था ने गति पकड़ी है जिससे ज्यादा मात्रा में वस्तुओं और सेवाओं की खरीद हो रही है। यह किसी भी प्रकार से क्षेत्रों या किसी खंड के स्वास्थ्य का संकेत नहीं है।’
सबनवीस ने कहा कि आधार प्रभाव के कारण कॉर्पोरेट लाभ में वृद्घि हुई है और इस बार कम संख्या में नौकरियां गईं हैं जिसके कारण आयकर संग्रहों में वृद्घि हो रही है।
नांगिया एंडर्सन के राकेश नांगिया ने कहा कि संग्रहों में उछाल से आद्योगिक और निर्माण गतिविधि में रिकवरी, बढ़ते निर्यातों और सेवा क्षेत्र की वृद्घि का पता चलता है।
उन्होंने कहा, ‘आर्थिक गतिविधि के जोर पकडऩे और उपभोक्ता खर्च में वृद्घि से भारत दोबारा से वृद्घि के रास्ते पर आ गया है। निवेशकों के सभी वर्गों द्वारा पूंजी बाजार में फंडों का बड़ा प्रवाह हो रहा है जिससे प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) के संग्रह में उछाल आई है।’ वित्त वर्ष 2022 के पहले पांच महीनो में राजकोष में एसटीटी के माध्यम से आने वाले कर में 60 फीसदी से अधिक की वृद्घि हुई है।
अप्रत्यक्ष कर संग्रहों में वृद्घि के लिए अधिकांश विशेषज्ञों ने सरकार की ओर से बेहतर प्रवर्तन को जिम्मेदार बताया है।
एएमआरजी एसोसिएट्स में वरिष्ठ पार्टनर रजत मोहन ने कहा कि उपभोक्ता वस्तुओं की दबी हुई मांग, अर्थव्यवस्था के अधिक औपचारिक होने, कर विभाग की ओर से तेजी से वसूली और जिंस कीमतों में कई गुना वृद्घि जैसे कारकों ने इस उछाल में योगदान दिया है।
