भारत की वित्तीय व्यवस्था में गिरावट और इसके रेटिंग पर पड़ने वाले असर के बारे में सावधानी बरतने की बात कहने के एक महीने के बाद ही स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (एस एंड पी) भारत के प्रति आशान्वित नजर आ रहा है।
एस एंड पी ने यह उम्मीद जताई है कि संयुक्त रूप से राजकोषीय घाटा के इस साल इकाई अंक में रहेगी। मालूम हो कि इस रेटिंग एजेंसी ने इससे पहले इस दर के 9.5-11 फीसदी के बीच रहने का अनुमान लगाया था।
सॉवरिन एंड पब्लिक रेटिंग, एस एंड पी के निदेशक ताकाहिरा ओगावा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उनका आकलन तेल कीमतों के कम रहने और तेल बांड्स के लिए जारी किए जाने वाली रकम पर निर्भर था कि ये बांड्स के लिए जारी की जाने वाली रकम 94,600 करोड़ रुपये से कम रहेगी।
जबकि यही बात ऊर्वरक बांड्स के साथ भी समान बात रहेगी और इनके लिए जारी की जाने वाली रकम 119,800 करोड़ रुपये अनुमानित थी। वित्त मंत्री और रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के साथ विचार विमर्श करने के बाद ओगावा ने बताया कि सरकार इस साल के लिए सकल घरेलू उत्पाद की बजटिंग यानी उसके लिए पैसे जारी करने या फिर लक्ष्य निर्धारित करने में थोड़ा दकियानूसी रवैया अख्तियार कर सकती है।
सामान्य आधार पर सरकार ने विकास दर 13 फीसदी निर्धारित रखा है। जबकि जीडीपी के लिए केंद्रीय सांख्यिकीय संगठन के अनुमानित रकम से ज्यादा की रकम जारी की। मालूम रहे कि संगठन ने जीडीपी के लिए कुल 46,93,602 करोड़ रुपये की रकम अनुमानित की गई थी जबकि सरकार ने इसके लिए 53,03,770 रुपये जारी की।
इसके अतिरिक्त ओगावा ने यह मानते हुए कि मौजूदा वित्तीय वर्ष के पहली तिमाही के बाद दरों में गिरावट आ सकती है, कहा कि पहली तिमाही में प्रत्यक्ष कर की उगाही में 40 फीसदी का इजाफा एक आरामदायक स्थिति होगी। उनके मुताबिक टैक्स प्रशासन में आए सुधार की वजह से टैक्स उगाही में मदद मिली है। लेकिन अगर मैक्रो इकॉनामिक ग्रोथ और औद्योगिक कमाई को देखा जाए तो विकास दर में गिरावट आ सकती है।
ओगावा एस एंड पी के कार्यकारी भी हैं और जापान, कोरिया, मलेशिया और थाईलैंड की सावरिन रेटिंग भी करते हैं। ठीक इसी समय पर ओगावा इस बात को लेकर सुनिश्चित नही थे कि आने वाले दिनों में चीजों की रूपरेखा क्या होगी क्योंकि रेटिंग एजेंसी को न तो सरकार की तेल कीमत नीति और न ही छठे वेतन आयोग की सिफारिशें एवं किसान कर्ज माफी के बारे में किसी प्रकार का कोई स्पष्टीकरण मिला है।