देश में अब सूरजमुखी तेल की कमी दूर हो सकती है। क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण इसके दाम बढ़ने से इस साल देश में भी किसानों ने ज्यादा सूरजमुखी की बोआई की है। जिससे देश में अधिक उत्पादन की संभावना के बीच रूस-यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात होने से इसकी कीमतों में आगे और गिरावट आ सकती है। कृषि एवं कल्याण विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार देश में अब तक 1.77 लाख हेक्टेयर में सूरजमुखी की बोआई हो चुकी है, जो पिछली समान अवधि में हुई 1.41 लाख हेक्टेयर से 25 फीसदी अधिक है। इस साल मुख्य सूरजमुखी उत्पादक राज्य कर्नाटक में 1.52 लाख हेक्टेयर में बोआई हो चुकी है, जो पिछले साल से 50 फीसदी ज्यादा है।
सूरजमुखी तेल का आयात सुधरने से इसकी कीमतों में बीते दो-तीन माह से गिरावट आ रही है। अब देश में सूरजमुखी की बोआई बढ़ने से कीमतों में और गिरावट को बल मिलेगा। आयात बढ़ने से भी सूरजमुखी तेल सस्ता हो सकता है। चालू तेल वर्ष की नवंबर—जुलाई अवधि में करीब 15 लाख टन कच्चा सूरजमुखी तेल का आयात हो चुका है, जो पिछली समान अवधि में आयात हुए 15.24 लाख टन से महज 1.5 फीसदी ही कम है। जुलाई महीने में करीब 1.55 लाख टन कच्चे सूरजमुखी तेल का आयात हुआ, जो पिछले जुलाई में हुए आयात हुए करीब 72 हजार टन से दोगुने से भी ज्यादा है। साथ ही पिछले चार महीने में सबसे अधिक आयात है। मार्च तक यूक्रेन से करीब 8.43 लाख टन कच्चा सूरजमुखी तेल का आयात हुआ था।
मार्च के बाद यूक्रेन से सूरजमुखी तेल का आयात नहीं हुआ है। भारतीय खाद्य तेल व्यापारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शंकर ठक्कर कहते हैं कि मार्च से यूक्रेन से भले सूरजमुखी तेल ना आया हो, लेकिन इस दौरान अर्जेंटीना से सूरजमुखी तेल आयात होने के कारण कुल आयात पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ा। अब इस माह से यूक्रेन से भी आयात शुरू होने लगा है। जिससे आगे सूरजमुखी तेल की कीमतें और गिर सकती हैं।