देशबंदी जारी रहने और मांग खत्म होने की वजह से भारत में मई महीने में लगातार दूसरे महीने सेवा गतिविधियों में गिरावट दर्ज की गई है। आज जारी मासिक सर्वे के मुताबिक अप्रैल की ऐतिहासिक गिरावट के बाद मई में भी गिरावट हुई है।
आईएचएस मार्किट सर्विस बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स (सर्विस पीएमआई) मई में 12.6 पर रहा, जो अप्रैल में बहुत ज्यादा गिरकर महज 5.4 रह गया था। अगर पीएमआई 50 से ऊपर रहता है तो विस्तार और इससे नीचे रहने पर संकुचन के संकेत देता है।
वैश्विक महामारी कोरोनावायरस (कोविड-19) ने भारत के सेवा क्षेत्र के अच्छे दिनों को बर्बाद कर दिया है। विदेश से मांग गिरने और निर्यात न होने के कारण मार्च महीने में सेवा क्षेत्र में गिरावट दर्ज की गई थी।
कारोबारी बंदी बढऩे की वजह से मई में उत्पादन में तेज गिरावट दर्ज की गई और मांग की स्थिति बेहद कमजोर रही। हाल के सर्वे के आंकड़ों से पता चलता है कि भारत के सेवा प्रदाताओं के पास नए काम में बहुत ज्यादा गिरावट आई है। विदेश के बाजारों से नया बिजनेस खत्म होने की वजह से ऐसा हुआ है। सेवा कंपनियों ने विदेशी मांग में 95 प्रतिशत की कमी की रिपोर्ट दी है। बहरहाल सर्वे में यह कहा गया है कि अप्रैल की तुलना में स्थिति थोड़ी ठीक है, जब निर्यात शून्य हो गया था क्योंकि कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए उठाए गए कदमोंं की वजह से प्रमुख निर्यात बाजारों में मांग गिर गई थी।
इसके परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर चौतरफा छंटनी हुई, हालांकि अप्रैल की तुलना में यह थोड़ी सुस्त रही। हालांकि पहले के महीने में 90 प्रतिशत कंपनियों ने कार्यबल में कोई बदलाव न करने की बात कही थी और कहा था कि नौकरियों में कमी कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है। लॉकडाउन के पहले विशेषज्ञों को सेवा क्षेत्र से बड़ी उम्मीदें तीं, जो फरवरी में 85 महीने के उच्च स्तर पर था और विदेशी बाजारों से नए ऑर्डर मिलने के कारण स्थिर वृद्धि नजर आ रही थी। लेकिन नौकरियों की वृद्धि पिछले कुछ महीने मेंं स्थिर रही है और फरवरी की तेजी के दौरान भी नौकरियों का सृजन निचले स्तर पर रहा। मई महीने में ज्यादातर कारोबार में बंदी जारी रही ऐसे में क्षमता वृद्धि की रफ्तार धीमी रही। कुल मिलाकर पिछला काम भी घटा है।
बहरहाल विशेषज्ञों का तर्क है कि आगे के हिसाब से परिदृश्य आशावादी बना हुआ है। आईएचएस मार्किट के अर्थशाास्त्री जो हासेय ने कहा, ‘2020 की पहली छमाही में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट तय है, ऐसे में यह साफ है कि कोविड-19 के पहले के स्तरप पर जीडीपी पहुंचने और रिकवरी की रफ्तार बहुत सुस्त होगी।’ अन्य विशेषज्ञों की भी यही राय है।
फर्र्में खुद भी हताश हैं। आने वाले 12 महीनों में ज्यादातर सुस्ती की उम्मीद जताई जा रही है। दिसंबर 2005 मेंं जो रिकॉर्ड बना था, उसके बाद घरेलू और विदेशी बाजार में लंबे समय तक आर्थिक सुस्ती की संभावना व्यक्त की गई थी।
आखिर में हम देखें तो मूल्य के आंकड़े इनपुट लागत और आउटपुट शुल्क दोनों में ही अपस्फीतिकर धारणा दिखा रहे हैं और यह दूसरी तिमाही तक बना रह सकता है। बहरहाल आउटपुट के मूल्य में जहां सुस्त गिरावट रही है, परिचालन व्यय में सेवा क्षेत्र के इतिहास में तेज गिरावट आई है।
इस सप्ताह की शुरुआत में इसी तरह के एक सर्वे में सामने आया था कि विनिर्माण गतिविधियां भी सिकुड़कर 15 साल के निचले स्तर पर आ गई हैं। विनिर्माण पीएमआई मई महीने में महज 30.8 रहा, जिससे सभी क्षेत्रों में कारोबारी स्थितियों में तेज गिरावट का पता चलता है। घरेलू मांग और निर्यात ऑर्डर में तेज गिरावट आई है, वहीं नया कारोबार रिकॉर्ड रफ्तार से खत्म हुआ है और भारत के विनिर्माण क्षेत्र में बड़े पैमाने पर नौकरियां गई हैं।
आईएचएस मार्किट कंपोजिट पीएमआई आउटपुट इंडेक्स, जिसमें विमिर्माण और सेवा दोनों सूचकांकों पर विचार किया जाता है, निजी क्षेत्र के आउटपुट में गंभीर मंदी के संकेत दे रहा है।
