भारत में सेवा क्षेत्र की वृद्धि मई में पांच महीने के निचले स्तर पर पहुंच गई। यह गिरावट घरेलू मांग कम होने के कारण आई। हालांकि निर्यात में इजाफा हुआ और नौकरियों का सृजन बेहतर हुआ है। एचएसबीसी के बुधवार को जारी सेवा क्षेत्र का पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) मई में गिरकर 60.2 आ गया था जबकि यह अप्रैल में 60.8 था।
इस सर्वेक्षण में कहा गया है, ‘मई के आंकड़ों के मुताबिक नए कारोबार में जबरदस्त वृद्धि होने के कारण भारत की सेवा अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में वृद्धि जारी रही। लेकिन एक साल पहले की तुलना में वृद्धि की रफ्तार सबसे कमजोर रही। इसका कारण अत्यधिक प्रतिस्पर्धा, मूल्य का दबाव और भीषण गर्मी थी।’
मई का आंकड़ा लगातार 34वें महीने 50 अंक से ऊपर रहा। यह आंकड़ा जुलाई 2021 के बाद से 50 से ऊपर है। दरअसल 50 से ऊपर का आंकड़ा विस्तार यानी बढ़त और इससे कम का आंकड़ा इस क्षेत्र में गिरावट का सूचक है।
सर्वेक्षण में बताया गया है कि करीब एक दशक पहले सर्वेक्षण शुरू किए जाने के बाद से अब तक अंतरराष्ट्रीय मार्केट में नए ऑर्डर का विस्तार सबसे तेज गति से हुआ और कारोबारी आत्मविश्वास भी आठ महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया।
एचएसबीसी की वैश्विक अर्थशास्त्री मैत्रेयी दास के अनुसार भारत में सेवा क्षेत्र की गतिविधियां मई में सुस्त गति से बढ़ीं और घरेलू नए ऑर्डर कुछ सुस्त रहे। हालांकि मांग मजबूत बनी रही जो यह दिखाता है कि विज्ञापन सफल रहे। दास के मुताबिक, ‘दुनिया भर में व्यापक मांग के साथ नए निर्यात ऑर्डर रिकॉर्ड गति से बढ़े।’
सर्वेक्षण के अनुसार मई में नए निर्यात के ऑर्डर में काफी सुधार हुआ और इसमें सितंबर 2014 के बाद शुरू हुए इस सर्वेक्षण के बाद सबसे तेज गति से वृद्धि हुई। सर्वे के साझेदारों ने इंगित किया कि एशिया, अफ्रीका, यूरोप, पश्चिम एशिया और अमेरिका से मांग में मजबूत वृद्धि हुई।
सर्वेक्षण के अनुसार मई में लागत का दबाव बढ़ गया था। इसका कारण यह था कि मांस, पैकेजिंग और सब्जियों के दाम बढ़ने के कारण सामग्री और श्रम की लागत बढ़ गई थी।
उन्होंने कहा, ‘कीमतों के मोर्चे पर, मई में लागत मूल्य बढ़ गया। लागत में इजाफे का कारण कच्चे माल और मजदूरी का मूल्य बढ़ना था। कंपनियों ने बढ़ी हुई लागत का कुछ बोझ ही ग्राहकों पर डाला। अच्छी खबर यह है कि आगामी वर्ष के परिदृश्य के बारे में आशावाद का स्तर आठ महीनों में सबसे तेज गति से बढ़ा। इससे नामचीन सेवा कंपनियों को अपने कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि करनी पड़ी थी।’
सर्वेक्षण ने रोजगार के बारे में बताया कि मांग की मजबूती और अतिरिक्त श्रम लागत की वजह से कुछ कंपनियों की उत्पादकता लागत बढ़ी। इसका कारण ओवरटाइम का भुगतान और वेतन वृद्धि था।
कुछ कंपनियों ने संकेत दिया कि उन्हें अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत पड़ी। सर्वेक्षण के अनुसार, ‘रोजगार में न सिर्फ उल्लेखनीय वृद्धि हुई बल्कि अगस्त 2022 के बाद से सबसे ज्यादा द्धि हुई। कंपनियों ने मई में कनिष्ठ और मध्यम स्तर के श्रमिकों की नियुक्ति की सूचना दी।’