संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के नेतृत्व वाले इंडो पैसिफिक इकनॉमिक फ्रेमवर्क (IPEF) पर बातचीत का दूसरा दौर बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में शुरू होने जा रहा है। इस दौर में आईपीएफ के 4 स्तंभों में से 3 यानी सप्लाई चेन, क्लीन अर्थव्यवस्था और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था पर बातचीत होगी। फिलहाल भारत कारोबारी स्तंभ (ट्रेड पिलर) से बाहर रहने का फैसला किया है।
इस बातचीत का पहला दौर ऑस्ट्रेलिया के ब्रिसबेन में दिसंबर में चला था। इस बैठक में मुख्य रूप से ट्रेड पिलर्स पर चर्चा हुई थी, जिसमें व्यापार को सुविधा प्रदान करना, कृषि, सेवाओं के घरेलू नियमन, पारदर्शिता और बेहतर नियामकीय गतिविधियां शामिल हैं।
भारत और अमेरिका सहित 14 देश IPEF के सदस्य हैं। इसे अमेरिका और इंडो पैसिफिक क्षेत्र के देशों ने टोक्यो में आयोजित क्वाड सम्मेलन के दौरान पिछले साल मई में पेश किया था। इसे दक्षिण व दक्षिण पूर्व एशियाई देशों में चीन के असर को कम करने की आर्थिक पहल के रूप में देखा जा रहा है।
विशेषज्ञों ने कहा कि भारत को श्रम मानकों, पर्यावरण आदि जैसे विषयों पर कोई प्रतिबद्धता जताने के पहले सावधानी बरतते हुए काम करने की जरूरत है।
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर विश्वजीत धर ने कहा कि आपूर्ति श्रृंखला और स्वच्छ अर्थव्यवस्था पर जोर देते हुए अमेरिका श्रम मानकों और पर्यावरण पर जोर देगा।