रुपया 25 पैसे की मजबूती के साथ बुधवार को तीन सप्ताह के उच्च स्तर 82.69 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ। व्यापारियों ने कहा कि पूंजी प्रवाह और घरेलू बाजारों में सकारात्मक रुख से तेजी को समर्थन मिला है। रुपया मंगलवार को 82.94 रुपये प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
बैंकों ने नॉन-डिलीवरेबल फॉरवर्ड (एनडीएफ) बाजार में अपनी स्थिति खत्म कर दी और रिजर्व बैंक के अनुमानित निर्देश के बाद नई स्थिति लेने से परहेज किया, जिससे रुपया को और सहायता मिली।
सरकारी बैंक के एक कारोबारी ने कहा, ‘आज रुपये में तेजी का मुख्य कारण प्रवाह रहा। कुल मिलाकर, मुझे लगता है कि भारतीय रिजर्व बैंक ने बैंक को एनडीएफ में मध्यस्थता में कोई भूमिका नहीं निभाने के लिए भी कहा है। इसलिए यह भी एक कारण है क्योंकि मुझे लगता है कि बैंकों ने अपनी स्थिति ख़त्म करना शुरू कर दिया है।
इससे रुपये की कीमत में और बढ़ोतरी हुई।’ उन्होंने कहा, ‘रुपये का 82.50 प्रति डॉलर होना ही सबसे महत्वपूर्ण स्तर है। यदि 82.50 प्रति डॉलर का स्तर टूटता है, तो मुझे लगता है कि रुपया 82.20 रुपये प्रति डॉलर के स्तर तक चला जाएगा। हालांकि, अगर वह समर्थन अभी भी है तो किसी भी समय रुपया फिर से 83 रुपये तक प्रति डॉलर हो सकता है।’
बेंचमार्क 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी नोट का प्रतिफल बुधवार को 6 आधार से ज्यादा घटकर 4.23 फीसदी रह गया, क्योंकि निवेशकों की नजर अमेरिकी फेडरल रिजर्व पर थी।
सरकारी बैंक के एक डीलर ने कहा, ‘ व्यापक धारणा यह थी कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व जैक्सन होल पर नरम रुख दिखाएगा मगर अगर टिप्पणी सख्त तो रुपया फिर से 83 रुपये प्रति डॉलर के स्तर से नीचे गिर जाएगा।’
अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड पर उच्च प्रतिफल अपने निवेश पर बेहतर रिटर्न चाहने वाले वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर सकती है। जब अमेरिकी प्रतिफल बढ़ती है, तो निवेशक अमेरिकी बॉन्ड में निवेश करने के लिए भारतीय रुपये सहित अन्य मुद्राओं से अपना धन स्थानांतरित कर सकते हैं। अमेरिकी डॉलर की यह बढ़ी हुई मांग भारतीय रुपये के मूल्य पर दबाव डाल सकती है।
अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिफल बढ़ने के कारण रुपया गुरुवार को 83.15 रुपये प्रति अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर पहुंच गया था। बेंचमार्क 10 वर्षीय अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड 15 महीने के उच्चतम स्तर 4.31 फीसदी पर कारोबार कर रहा था।