खाद्य कीमतों में तेज बढ़ोतरी और आधार के प्रतिकूल असर के कारण सितंबर में भारत की खुदरा महंगाई दर 2024 के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है। वहीं थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित महंगाई दर में भी इस दौरान तेजी आई है।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित समग्र खुदरा महंगाई के आंकड़े सितंबर में तेजी से बढ़कर 5.49 प्रतिशत पर पहुंच गए, जो अगस्त में 3.65 प्रतिशत पर थे।
इसके पहले दिसंबर 2023 में खुदरा महंगाई दर 5.69 प्रतिशत थी। वहीं वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक डब्ल्यूपीआई पर आधारित महंगाई दर सितंबर में बढ़कर 1.84 प्रतिशत हो गई है, जो अगस्त में 1.31 प्रतिशत थी क्योंकि खाद्य वस्तुओं की महंगाई 11.53 प्रतिशत बढ़ी है, जो इसके पहले महीने में 3.11 प्रतिशत थी।
आंकड़ों से पता चलता है कि खाद्य महंगाई दर सितंबर महीने में तेजी से बढ़कर 9.2 प्रतिशत पर पहुंच गई है, जो इसके पहले के महीने में 5.66 प्रतिशत थी। यह तेजी फलों (7.65 प्रतिशत) और सब्जियों (35.99 प्रतिशत) की कीमत में बढ़ोतरी के कारण आई है।
बहरहाल मोटे अनाज (6.84 प्रतिशत) और प्रोटीन वाली वस्तुओं जैसे अंडे (6.31 प्रतिशत) और मांस व मछली (2.66 प्रतिशत) की महंगाई दर इस माह में घटी है। तेज बढ़ोतरी के बावजूद खुदरा महंगाई दर अभी भारतीय रिजर्व बैंक की 2 से 6 प्रतिशत की सीमा में बनी हुई है।
पिछले सप्ताह मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने अपने रुख में बदलाव कर उसे तटस्थ कर दिया था, जबकि नीतिगत रीपो दर 6.5 प्रतिशत पर बरकरार रखा था। समिति की लगातार 10वीं बैठक में दर यथावत रखी गई है। साथ ही वित्त वर्ष 2025 के लिए खुदरा महंगाई दर 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा गया है।
बैठक के बाद बयान में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि प्रतिकूल आधार और खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने के कारण सितंबर में खुदरा महंगाई में तेज बढ़ोतरी की आशंका है। उन्होंने कहा था कि प्याज, आलू और चने की दाल का उत्पादन 2023-24 के दौरान कम रहना भी एक वजह है।
प्रमुख खुदरा महंगाई, जिसमें खाद्य और ईंधन शामिल नहीं होते हैं, इस माह के दौरान मामूली बढ़ी है, लेकिन 3.5 प्रतिशत पर बनी है। परिधान एवं फुटवीयर (2.71 प्रतिशत), सेवा जैसे शिक्षा (3.79 प्रतिशत), स्वास्थ्य (4.09 प्रतिशत) और पर्सनल केयर (9 प्रतिशत) बढ़े हैं। बहरहाल माह के दौरान ईंधन की कीमत (-1.4 प्रतिशत) कम हुई है।
दर में कटौती की संभावना के बारे में इक्रा रेटिंग्स की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि सितंबर महीने में खुदरा महंगाई में उछाल ने दिसंबर की अगली बैठक में नीतिगत कटौती की संभावनाएं कम कर दी हैं।
उन्होंने कहा कि दिसंबर में दर में कटौती उसी स्थिति में हो सकती है, जब या तो खुदरा महंगाई 5 प्रतिशत से उल्लेखनीय रूप से नीचे हो, या वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही की वृद्धि दर उल्लेखनीय रूप से कम हो।