facebookmetapixel
एफपीआई ने किया आईटी और वित्त सेक्टर से पलायन, ऑटो सेक्टर में बढ़ी रौनकजिम में वर्कआउट के दौरान चोट, जानें हेल्थ पॉलिसी क्या कवर करती है और क्या नहींGST कटौती, दमदार GDP ग्रोथ के बावजूद क्यों नहीं दौड़ रहा बाजार? हाई वैल्यूएशन या कोई और है टेंशनउच्च विनिर्माण लागत सुधारों और व्यापार समझौतों से भारत के लाभ को कम कर सकती हैEditorial: बारिश से संकट — शहरों को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के लिए तत्काल योजनाओं की आवश्यकताGST 2.0 उपभोग को बढ़ावा दे सकता है, लेकिन गहरी कमजोरियों को दूर करने में कोई मदद नहीं करेगागुरु बढ़े, शिष्य घटे: शिक्षा व्यवस्था में बदला परिदृश्य, शिक्षक 1 करोड़ पार, मगर छात्रों की संख्या 2 करोड़ घटीचीन से सीमा विवाद देश की सबसे बड़ी चुनौती, पाकिस्तान का छद्म युद्ध दूसरा खतरा: CDS अनिल चौहानखूब बरसा मॉनसून, खरीफ को मिला फायदा, लेकिन बाढ़-भूस्खलन से भारी तबाही; लाखों हेक्टेयर फसलें बरबादभारतीय प्रतिनिधिमंडल के ताइवान यात्रा से देश के चिप मिशन को मिलेगी बड़ी रफ्तार, निवेश पर होगी अहम चर्चा

रीपो दर में कटौती संभव

समिति की अगली समीक्षा 4 से 6 जून को होनी है।

Last Updated- May 14, 2025 | 11:43 PM IST
Reserve Bank of India

अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि जून में Repo Rate में लगातार तीसरी बार कटौती हो सकती है। खुदरा महंगाई दर लगातार 2 महीने तक भारतीय रिजर्व बैंक के 4 प्रतिशत के लक्ष्य के नीचे रहने के कारण यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जून में रीपो दर 25 आधार अंक घट सकता है।

रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने नीतिगत दर में कुल 50 आधार अंक की कमी की है। समिति ने फरवरी और अप्रैल में 25-25 आधार अंक की कटौती की थी, जिससे रीपो दर 6 प्रतिशत हो गया है। समिति की अगली समीक्षा 4 से 6 जून को होनी है।

आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘वृद्धि-महंगाई दर का परिदृश्य नीतिगत दर में और कटौती किए जाने के हिसाब से अनुकूल है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर सिर्फ घरेलू स्थिति देखें तो वित्त वर्ष 2026 के शेष महीनों में नीतिगत दर में 75 आधार अंक की और कटौती किए जाने की जगह है, जिससे नीतिगत दर को तटस्थ क्षेत्र में लाया जा सके। इसका असर दिखने में 6 से 9 महीने लगते हैं, जिसे देखते हुए रिजर्व बैंक कटौती जारी रख सकता है।’

अप्रैल में खुदरा महंगाई दर घटकर 6 साल के निचले स्तर 3.16 प्रतिशत पर आ गई है। खाद्य महंगाई दर भी गिरकर अक्टूबर 2021 के निचले स्तर पर है। मासिक आधार पर खाद्य कीमतें लगातार छठे महीने कम हुई हैं। विशेषज्ञों ने कहा कि उत्साहजनक बात यह है कि यह गिरावट केवल सब्जियों जैसी अत्यधिक अस्थिर वस्तुओं तक ही सीमित नहीं है, बल्कि दालों और अनाज की कीमत भी घटी है।  खाद्यान्न फसलों का उत्पादन बेहतर रहने के कारण कीमत कम हुई है, जिसे मॉनसूनी बारिश के बेहतर वितरण का लाभ मिला है।

नोमुरा ने एक रिपोर्ट में कहा है, ‘हमारा मानना है कि मई के बाद अवस्फीति रहने की संभावना है। 2025 की दूसरी तिमाही में मुद्रास्फीति 3 प्रतिशत से नीचे रहेगी, तथा 2025 की दूसरी छमाही में औसतन 3.4 प्रतिशत रहेगी। यह वित्त वर्ष 2026 में औसतन 3.9 प्रतिशत रहेगी, जबकि रिजर्व बैंक का लक्ष्य 4 प्रतिशत से नीचे का है। हम उम्मीद करते हैं कि 2025 में 100 आधार अंक की अतिरिक्त कटौती होगी और रीपो रेट 5 प्रतिशत पर आएगा।’

अप्रैल की समीक्षा में रिजर्व बैंक ने रुख बदलकर समावेशी कर दिया था और कहा था कि वृद्धि को समर्थन देना प्राथमिकता में है।

एचडीएफसी बैंक दो और कटौती के साथ रीपो रेट 5.5 प्रतिशत पर आने की उम्मीद कर रहा है और उसका कहना है कि इससे अधिक कटौती होना वैश्विक स्थिति पर निर्भर होगा।

एचडीएफसी बैंक में प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि रिजर्व बैंक दर में कटौती जारी रखेगा और और 2025 में दो और कटौती होगी। अगली कटौती जून में होने की संभावना है।’

 बार्कलेज के अर्थशास्त्रियों ने एक नोट में कहा कि पहली तिमाही में खुदरा महंगाई 3 से 3.1 प्रतिशत रह सकती है, जो रिजर्व बैंक के 3.6 प्रतिशत अनुमान से बहुत कम है, इसकी वजह से अगस्त की जगह जून की बैठक में ही रीपो दर 25 आधार अंक कम किए जाने की उम्मीद है।

First Published - May 14, 2025 | 11:36 PM IST

संबंधित पोस्ट