देश के अरबपतियों की पूंजी से तेजी से घटती जा रही है। पिछले छह महीनों से गिर रहे बजार की वजह से सौ से ज्यादा अरबपति अब करोड़पति ही रह गए हैं।
स्टॉक मार्केट में आठ जनवरी को जब अपनी अधिकतम ऊंचाई को छुआ था तो इन अरबपतियों के भाग्य चमक गए थे और भारतीय अरबपतियों की संख्या 522 तक पहुंच गई थी। छ: महीनों बाद अब यह संख्या 421 पर आ गई है। जो 101 अरबपती इस सूची से बाहर हो गए हैं उनकी संपत्ति में सेंसेक्स में 35.6 फीसदी की गिरावट आने के बाद 20 से 65 फीसदी तक की गिरावट आई है।
अरबपतियों की सूची में जो नए लोग शामिल हुए हैं उनमें कंसोलिडेटेड कंस्ट्रक्शन के उषा और सुरेश शाह, पायनियर इनवेस्टकॉर्प के गौरांग गांधी, बैग टेलीफिल्म्स की अनुराधा शुक्ला, स्पाइस जेट का कंसागरा परिवार और मवाना शुगर के सिध्दार्थ श्रीराम शामिल हैं। इन अरबपरियों की संपत्ति या नेट वर्थ 31 मार्च 2008 को संबंधित कंपनियों में प्रमोटर होल्डिंग के बाजार भाव से 8 जनवरी और 4 जुलाई के अंतर के आधार पर निकाली गई है। इस आकलन में क्रास होल्डिंग पर गौर नहीं किया गया है।
जो कंपनियां 8 जनवरी के बाद लिस्ट हुई हैं उनका इश्यू प्राइस लिया गया है। अगर अमेरिकी डॉलर में भारतीय अरबपतियों की संख्या देखी जाए तो यह 64 से घटकर 32 पर आ गई है। इस दौरान डॉलर में जनवरी आठ से अब तक 9.83 फीसदी का सुधार हुआ है। यहां तक कि खरबपतियों को भी शेयर बाजार में मंदी के असर से प्रभावित होना पड़ा है। सबसे ज्यादा नुकसान रिलायंस एडीएजी के मालिक अनिल अंबानी को झेलना पड़ा जिनकी संपत्ति में 1,37,690 करोड़ की कमी आई है। आठ जनवरी को अनिल अंबानी की कुल संपत्ति 2,53,567 करोड़ रुपए थी।
हालांकि उनके बड़े भाई मुकेश अंबानी को कम नुकसान झेलना पड़ा। जहां सेंसेक्स में 36 फीसदी की गिरावट आई वहीं मुकेश की संपत्ति में 31 फीसदी का अंतर आया। रियल एस्टेट से जुड़ी कंपनियों के मालिकों की संपत्तियों में सबसे ज्यादा कमी देखी गई। डीएलएफ के के पी सिंह, यूनीटेक के रमेश चंद्रा,इंडिया बुल्स के समीर गहलोत, जे पी एसोसिएट के जयप्रकाश गौर की संपत्ति में 50 फीसदी से भी ज्यादा की कमी आई।
जनवरी के दौरान शेयर बाजार के अपनी अधिकतम ऊंचाई तक पहुंचने के समय इन कंपनियों के मालिकों की जायदाद में जबरदस्त उछाल आया था और इनमें से कई विश्व के सर्वाधिक अमीर की फेहरिस्त में शामिल हो गए थे। लेकिन शेयर बाजार में गिरावट के बाद इनकी हालत पतली है। अब जब बाजार के अभी मंदी से बाहर निकलने के कम ही आसार हैं तो अरबपतियों की संख्या में गिरावट ही आनी है।