भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 6 सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) मौद्रिक समीक्षा के दौरान नीतिगत दरों में बदलाव से लगातार पांचवीं बार परहेज कर सकती है। इस बारे में बिज़नेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में सभी 10 प्रतिभागियों ने यही कहा। केंद्रीय बैंक मौद्रिक समीक्षा के निर्णय की घोषणा 8 दिसंबर को करेगा।
मौद्रिक नीति समिति ने मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में 250 आधार अंक का इजाफा कर दिया, जिससे यह 6.5 फीसदी पर पहुंच गई। उसके बाद से ही दर जस की तस बनी हुई है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक की अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘मुद्रास्फीति अब भी तय लक्ष्य से ऊपर है और वृद्धि दर भी बढ़ रही है। इसलिए केंद्रीय बैंक का ध्यान मुद्रास्फीति को 4 फीसदी या उसके नीचे लाने पर होगा। मौद्रिक नीति समिति ने तरलता पर अंकुश लगाने की कोशिश की है और आगे भी वह ऐसा ही चाहेगी।’
बैंकिंग तंत्र में तरलता नवंबर में और भी घट गई है। यही वजह है कि आरबीआई ने पिछले गुरुवार को बैंकिंग तंत्र में 48,754 करोड़ रुपये डाले हैं। वस्तु एवं सेवा कर के मासिक भुगतान के कारण 21 नवंबर को तरलता में अंतर 5 साल के उच्च स्तर पर पहुंच गया था। केंद्रीय बैंक ने उस दिन भी 1.74 लाख करोड़ रुपये डाले थे।
पीएनबी गिल्ट्स को छोड़कर बिज़नेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में शामिल सभी प्रतिभागियों ने अनुमान लगाया कि एमपीसी के सदस्य उदारता खत्म करने के रुख पर कायम रहेंगे क्योंकि मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम अब भी बना हुआ है।
एचडीएफसी बैंक की प्रधान अर्थशास्त्री साक्षी गुप्ता ने कहा, ‘आरबीआई का रुख समायोजन वापस लेने का ही रहेगा क्योंकि मुद्रास्फीति बढ़ने का जोखिम अब भी बना हुआ है। वृद्धि भी मजबूत बनी हुई है। इसलिए उनके पास मौद्रिक नीति में सख्ती बनाए रखने की गुंजाइश है।’
अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटकर 4.87 फीसदी रह गई थी, जो जून के बाद सबसे कम है। सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 5.02 फीसदी थी। मुद्रास्फीति में नरमी के बावजूद अक्टूबर में खाद्य पदार्थों की कीमत का सूचकांक चढ़ा है, जो पिछले दो महीने से घट रहा था। प्याज की कीमतें 15.5 फीसदी बढ़ने की वजह से सब्जियों का मूल्य सूचकांक 3.4 फीसदी बढ़ गया था।
पीएनबी गिल्ट्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी विकास गोयल मानते हैं कि फेडरल रिजर्व जो कदम उठाएगा, उसके हिसाब से केंद्रीय बैंक का रुख भी बदल सकता है। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के चेयरमैन जेरोम पॉवेल ने दर वृद्धि का विकल्प खुला रखा है मगर बाजार को यही लगता है कि दरों में बढ़ोतरी का सिलसिला खत्म हो गया है।
अधिकांश प्रतिभागियों ने उम्मीद जताई कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर के अपने अनुमान को थोड़ा बढ़ा सकता है। दूसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर का आंकड़ा 7.6 फीसदी यानी आरबीआई के अनुमान से ज्यादा रहने के बाद अनुमान बढ़ाए जाने की उम्मीद जगी है।
आरबीआई ने पूरे वित्त वर्ष के लिए 6.5 फीसदी वृद्धि का अनुमान लगाया है। पंजाब नैशनल बैंक को छोड़कर सभी प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए 5.4 फीसदी मुद्रास्फीति के अपने अनुमान में कोई बदलाव नहीं करेगा।
येस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री इंद्रनील पान ने कहा, ‘पिछले महीने कम आधार प्रभाव के कारण मुद्रास्फीति कम रही थी। आधार प्रभाव का असर खत्म होने के बाद मुद्रास्फीति इस महीने 5.4 से 5.5 फीसदी रह सकती है। ऐसे में आरबीआई के लिए अपने रुख में किसी तरह का बदलाव करना कठिन होगा।’
अर्थव्यवस्था की स्थिति पर आरबीआई की रिपोर्ट भी कहती है कि मुद्रास्फीति को 4 फीसदी पर लाने का आरबीआई का लक्ष्य पूरा होने की राह में खाद्य मुद्रास्फीति रोड़ बनकर खड़ी है।