मार्च में समाप्त वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में भारत के चालू खाते का संतुलन 5.7 अरब डॉलर के अधिशेष की स्थिति में रहा, जो सकल घरेलू उत्पाद का 0.6 प्रतिशत है। भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि सेवाओं के निर्यात में 10 तिमाहियों के अंतर के बाद आई तेजी के कारण ऐसा हुआ है।
इसके पहले के वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में चालू खाते का घाटा 1.3 अरब डॉलर (जीडीपी का 0.2 प्रतिशत) था। दिसंबर 2023 को समाप्त तिमाही में चालू खाते का घाटा 8.7 अरब डॉलर (जीडीपी का 1 प्रतिशत) था। वित्त वर्ष 2024 में चालू खाते का घाटा कम होकर 23.2 अरब डॉलर रह गया, जो जीडीपी का 0.7 प्रतिशत है। वित्त वर्ष 23 में यह 67 अरब डॉलर था, जो जीडीपी का 0.2 प्रतिशत है।
इक्रा में अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि भारत का चालू खाते का घाटा वित्त वर्ष 2023 के 67 अरब डॉलर की तुलना में आधे से ज्यादा घटकर 23.2 अरब डॉलर रह गया है, जो 7 साल का निचला स्तर है। उन्होंने कहा कि वस्तु निर्यात में घाटा कम होने के और सेवाओं के व्यापार का अधिशेष बढ़ने के कारण ऐसा हुआ है।
तिमाही आंकड़ों को स्पष्ट करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा कि सेवाओं से शुद्ध प्राप्तियां वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में 42.7 अरब डॉलर रही हैं, जो एक साल पहले की समान अवधि के 39.1 अरब डॉलर से अधिक है। इसने वित्त वर्ष 2024 की जनवरी-मार्च तिमाही में चालू खाते के संतुलन को अधिशेष की स्थिति में पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई है।