अर्थव्यवस्था

सवाल-जवाब: स्वच्छ निवेश से खुलेगी विकसित देश की राह- निकोलस स्टर्न

लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के आईजी पटेल प्रोफेसर ऑफ इकनॉमिक्स ऐंड गवर्नमेंट के अर्थशास्त्री निकोलस स्टर्न ने कहा कि इस सदी के मध्य तक भारत में जितना आधारभूत ढांचा होगा।

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- October 24, 2023 | 10:19 PM IST

ब्रिटेन के लंदन स्कूल ऑफ इकनॉमिक्स के आईजी पटेल प्रोफेसर ऑफ इकनॉमिक्स ऐंड गवर्नमेंट के अर्थशास्त्री निकोलस स्टर्न ने जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण के लिए धन मुहैया कराने के मसले पर नई दिल्ली में रुचिका चित्रवंशी से बातचीत की। उन्होंने नेट जीरो और स्वच्छ निवेश को बढ़ावा देकर 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनने के बारे में भी चर्चा की। संपादित अंश :

2070 तक नेट जीरो बनने के बारे में आपकी क्या राय है?

भारत ने हाल के वर्षों में जलवायु को लेकर अपने प्रयास बढ़ाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दो साल पहले ग्लासगो में दिए भाषण में 2030 तक ऊर्जा दक्षता और उत्सर्जन को लेकर मजबूत लक्ष्य तय किए थे। प्रधानमंत्री का यह भाषण मील के पत्थरों में से एक था। आपने नवीकरणीय ऊर्जा में तेजी से विस्तार और लागत में तेजी से गिरावट को देखा है। कोयले की तुलना में नवीकरणीय ऊर्जा से पूरे दिन में बिजली बनाने की प्रति किलोवाट लागत सस्ती है। आप भारत में वास्तविकता में तेजी से प्रगति देख सकते हैं। भारत की कंपनियां जैसे रिलायंस और टाटा हरित हाइड्रोजन और हरित स्टील की दौड़ में नेतृत्वकारी भूमिका निभा रही हैं।

उभरते बाजार धन जुटाने की चुनौती से कैसे निपटेंगे?

चीन के इतर उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं को जलवायु संबंधी निवेश के लिए कुल 2.4 लाख करोड़ डॉलर चाहिए। इसमें ज्यादातर निवेश घरेलू स्तर से होगा लेकिन 1 लाख करोड़ रुपये निवेश बाहर से होगा। इसमें से 250 अरब डॉलर का निवेश बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) से होगा और इसमें से 150-200 अरब डॉलर रियायती दर पर मुहैया करवाया जाएगा।

जलवायु प्रयोजनों के लिए भारत किस तरह अधिक धन जुटा सकता है?

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एमडीबी में सुधार के लिए जी 20 के स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह की स्थापना की थी। यह भारत की बहुत अच्छी शुरुआत है। भारत ने स्वतंत्र विशेषज्ञ समूह की स्थापना करके देशों में एमडीबी में सुधार को लेकर चर्चा को नया रूप दिया है। यह वित्त मुहैया करवाने का प्रमुख स्रोत भी बनेगा जिससे निजी निवेश को तेजी से बढ़ावा मिलेगा। ऐसा करके जोखिम को साझा किया जा सकता है व निजी निवेश आसानी से उपलब्ध हो सकेगा।

आपका भारत के हरित बॉन्ड शुरू करने पर क्या नजरिया है?

ये सभी धन जुटाने के स्रोत हैं। यह हरित बदलाव की प्रतिबद्धता में मदद करते हैं। आप कह रहे हैं कि आप संसाधनों को जुटाएंगे और हम इन क्षेत्रों पर खास ध्यान देने वाले हैं। लेकिन मैं कहूंगा कि भारत अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा करने के लिए इन निवेशों को आसान नहीं बना रहा है।

क्या आपको लगता है कि विकास और जलवायु से संबंधित कार्रवाइयां विरोधी प्राथमिकताएं हो सकती हैं?

जलवायु से संबंधित कार्रवाइयां और विकास के बीच की दौड़ काल्पनिक है। जलवायु से संबंधित मुद्दों में निवेश विकास के लिए है। यह ऊर्जा, बिजली और शहरों के लिए है। आप इन शहर में रह सकते हैं और ताजगी से भरी सांस ले सकते हैं। यह अधिक लाभकारी है।

2047 के लक्ष्य को हासिल करने के लिए भारत क्या करे?

नए तरीकों और अपने लोगों पर निवेश करें। इस सदी के मध्य तक भारत में जितना आधारभूत ढांचा होगा, उसका 80 फीसदी अभी से लेकर आने वाले समय तक बनेगा।

First Published : October 24, 2023 | 10:19 PM IST