केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2026 में 11 अगस्त तक भारत का शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह करीब 4 प्रतिशत घटकर 6.63 लाख करोड़ रुपये रह गया है। इसकी प्रमुख वजह कॉर्पोरेट कर रिफंड में 21.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी है। बहरहाल आश्चर्यजनक रूप से वित्त वर्ष 2026 में अब तक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह भी 1.87 प्रतिशत घटकर 7.99 लाख करोड़ रुपये रह गया है।
एक सरकारी अधिकारी ने नाम न छापे जाने की शर्त पर कहा, ‘सकल प्राप्तियों में गिरावट की वजह यह हो सकती है कि ज्यादातर करदाताओं ने नई कर व्यवस्था अपनाई है। इसके अलावा संशोधित कर ढांचे में 12 लाख रुपये तक आमदनी पर कर में छूट की घोषणा के कारण भी संभवतः कम टीडीएस संग्रह हुआ और इसकी वजह से व्यक्तिगत आयकर से कम राजस्व आया है।’
शुद्ध गैर कॉर्पोरेट कर में व्यक्तियों, अविभाजित हिंदू परिवारों, फर्मों, व्यक्तियों के निकाय, लोगों के एसोसिएशन, स्थानीय प्राधिकारियों और आर्टिफिशल जुरिडिकल पर्सन द्वारा भुगतान किया गया कर शामिल होता है, यह इस दौरान सालाना आधार पर 7.45 प्रतिशत घटकर 4.13 लाख करोड़ रुपये रह गया है। शुद्ध कॉर्पोरेट कर संग्रह सालाना आधार पर करीब 3 प्रतिशत बढ़कर 2.28 लाख करोड़ रुपये हो गया है। प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) संग्हह भी 3.5 प्रतिशत बढ़कर इस दौरान 22,362 करोड़ रुपये हो गया है।
कर विभाग द्वारा 11 अगस्त तक जारी कुल रिफंड 1.34 लाख करोड़ रुपये रहा, जिसमें 1.03 लाख करोड़ रुपये कॉर्पोरेट को वापस किया गया है। कुल मिलाकर प्रत्यक्ष कर रिफंड 9.8 प्रतिशत बढ़ा है।
विशेषज्ञों के मुताबिक प्रत्यक्ष कर संग्रह के सुस्त प्रदर्शन की वजह बड़ी मात्रा में रिफंड है, जो खासकर कॉरपोरेट कर श्रेणी का रिफंड है। पीडब्ल्यूसी में पार्टनर हितेश साहनी के मुताबिक वित्त वर्ष के शुरुआत के इन आंकड़ों से कर प्रशासन की गतिशील प्रकृति और सरकार के शुद्ध राजस्व पर रिफंड के असर का पता चलता है। उन्होंने कहा कि गैर कॉरपोरेट कर संग्रह में गिरावट औपचारिक क्षेत्र पर दबाव का संकेत हो सकता है।
इक्रा लिमिटेड में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की तिथि बढ़ना एक वजह हो सकता है, जिसके कारण व्यक्तिगत आयकर की वृद्धि सुस्त रही है। केंद्र सरकार ने आईटीआर दाखिल करने की तिथि 30 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दी है।