कोयला ब्लॉक रखने वाली निजी क्षेत्र की कंपनियों को कड़ी चेतावनी देते हुए कोयला मंत्रालय ने कहा है कि या तो वे अपनी खदानों से उत्पादन बढ़ाएं या सरकारी कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) से कोयले की आपूर्ति के विनियमन का सामना करें।
मंत्रालय ने खुद के इस्तेमाल के लिए कोयला उत्पादन करने वाली निजी कंपनियों के उत्पादन की स्थिति की समीक्षा की है। इसमें पाया गया कि इन खदानों से उत्पादन लक्ष्य के बहुत नीचे है। यह चेतावनी ऐसे समय में आई है, जब देश के ताप बिजली संयंत्रों को कोयले की कमी का सामना करना पड़ रहा है।
बिजली, स्टील और धातु क्षेत्र की निजी कंपनियों को आवंटित 43 कोयला खदानों, जो इस समय परिचालन में हैं, किसी ने भी अपने सालाना उत्पादन का लक्ष्य पूरा नहीं किया है। इन खदानों का आवंटन पिछले 5 साल में हुआ था। 2014 में उच्चतम न्यायालय ने पिछले दो दशक में आवंटित सभी कोयला ब्लॉकों का आवंटन रद्द करने का फैसला किया था। 2015 में सरकार ने पहली बार ई-नीलामी से 34 कोयला ब्लॉकों की पेशकश की, जो तीन चरणों में आयोजित की गई।
हिंडाल्को, बालको, जिंदल, जेएसडब्ल्यू, अदाणी, जीएमआर, एस्सार सहित अन्य कंपनियों को कोयला ब्लॉक दिए गए।
इन कोयला ब्लॉकों का आवंटन बिजली, लोहा और स्टील क्षेत्रों में कोयले के निजी इस्तेमाल के लिए किया गया। पिछले साल तीन खंडों में कोल ब्लॉकों की नीलामी हुई और 9 ब्लॉकों का सफलतापूर्वक आवंटन किया गया। कोयला मंत्रालय ने एक नोट में कहा, ‘नामित प्राधिकारी द्वारा हाल में निजी इस्तेमाल वाली खदानों से कोयले के उत्पादन की समीक्षा की गई। समीक्षा से पता चलता है कि तमाम आवंटी अपने पीक रेटेड कैपेसिटी (पीआरसी) की तुलना में अपने उत्पादन के कार्यक्रम से बहुत पीछे चल रहे हैं।’
देश में कोयले का संकट बढ़ रहा है और 41 बिजली उत्पादन इकाइयां बहुत गंभीर स्थिति में हैं और उनके पास 7 दिन से कम के लिए कोयले का स्टॉक बचा है। मंत्रालय ने कहा है, ‘देश में कोयले की कमी और उत्पादन कम रहने की स्थिति को देखते हुए आपसे अनुरोध किया जाता है कि अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए कोयले का उत्पादन बढ़ाएं।’
मंत्रालय ने आगे कहा है कि अगर जल्द से जल्द उत्पादन नहीं बढ़ाया जाता है तो ‘कोयला मंत्रालय को सुधारात्मक कदम उठाने और आप जैसे अंतिम उपभोग के संयंत्रों को सीआईएल से होने वाली कोयले की आपूर्ति को नियमन के दायरे में करना पड़ेगा।’
बिजनेस स्टैंडर्ड ने पहले खबर दी थी कि इन निजी कोयला खदानों में कोयले का उत्पादन लक्ष्य से कम हो रहा है। 2018-19 के दौरान बमुश्किल 3 खदानें अपना सालाना पीआरसी पूरा कर पाई थीं। ज्यादातर कंपनियों ने इसके लिए भूमि और वन मंजूरी को जिम्मेदार ठहराया था।
चार साल बीतने के बाद भी नीलाम की गई कोयला खदानों से उत्पादन अभी भी लक्ष्य के पीछे है। बहरहाल अब करीब सभी निजी उपयोग की खदानों ने उत्पादन शुरू कर दिया है और उम्मीद की जा रही है कि चालू वित्त वर्ष में 5.4 करोड़ टन कोयले का उत्पादन होगा। निजी उपयोग की कोयला खदानों से उत्पादन इस समय 1.8 करोड़ टन है। इन खदानों का पीआरसी 14.5 करोड़ टन है।