केंद्रीय बजट में घोषित निवेशक चार्टर में निवेशकों को गलत बिक्री अथवा किसी अन्य धोखाधड़ी के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए किसी मौद्रिक क्षतिपूर्ति ढांचे की व्यवस्था संभवत: नहीं होगी। हालांकि इसका उद्देश्य उन सभी बिचौलियों और विभागों से समयबद्ध सेवाओं की गारंटी देकर निवेशकों को सशक्त बनाना है जो सरकार के वित्तीय नियामकों के दायरे में आते हैं। दो सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में म्युचुअल फंड एवं बीमा सहित सभी वित्तीय योजनाओं के लिए एक निवेशक चार्टर स्थापित करने का प्रस्ताव दिया था। समझा जाता है कि भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर इसके लिए एक ब्लूपिं्रट पर चर्चा की है। बाजार नियामक को इस चार्टर के लिए निवेशकों के अधिकार तैयार करने का काम सौंपा गया है।
समझा जाता है कि सेबी ने इस चार्टर की व्यापक रूपरेखा तैयार की है जो करीब 200 पृष्ठों में है। इस चार्टर का पहला मसौदा 15 मार्च तक मंत्रालय के समक्ष प्रस्तुत किए जाने की उम्मीद है। इस योजना से अवगत एक वरिष्ठ नियामकीय अधिकारी ने कहा, ‘इसमें दो खंड होंगे। पहला व्यापक सिद्धांतों से संबंधित और दूसरा स्टॉक एक्सचेंज, डिपॉजिटरी आदि बिचौलिया स्तर पर मामलों को निपटाने से संबंधित खंड होंगे।’
अधिकारी ने कहा कि पहला खंड उन विशिष्ट परिणामों अथवा प्रभावों- प्रशासन संबंधी उचित प्रथाओं एवं प्रक्रियाओं के अनुपालन में – पर केंद्रित होगा जिन्हें नियामक हासिल करना चाहता है। दूसरे खंड में प्रत्येक बिचौलिये की जिम्मेदारियों का स्पष्ट तौर पर विवरण दिया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि चार्टर का मसौदा तैयार करते समय सेबी ने एक समय-सीमा निर्धारित करते हुए म्युचुअल फंडों, स्टॉक ब्रोकरों, रेटिंग एजेंसियों, रजिस्ट्रार एवं डिपॉजिटरी सहित बाजार के सभी बिचौलियों को निवेशकों के लिए संबंधित अनुपालन एवं प्रक्रियाओं का विवरण प्रस्तुत करने के लिए कहा था। समझा जाता है कि यह चार्टर बाजार में कृत्रिम उतार-चढ़ाव को संचालित करने वालों के खिलाफ समयबद्ध तरीके से कार्रवाई सुनिश्चित करेगा।
उद्योग विशेषज्ञों और सलाहकारों का कहना है कि निवेशकों को समझ न आने और गलत बिक्री के मामलों ने निवेशकों की भावनाओं को प्रभावित किया है। निवेशकों को अभी भी विभिन्न प्रकार की योजनाओं, फंडों और इससे जुड़े जोखिम को समझना बाकी है। यह चार्टर वास्तविक निवेशकों के लिए समेकित मार्गदर्शिका के रूप में कार्य करेगा।
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि इस चार्टर का उद्देश्य नियामकीय ढांचे को सरल बनाना, अनुपालन में सुधार करना और बाजार की भविष्य की जरूरतों पर ध्यान देना है। इस प्रकार का चार्टर होने से वित्तीय योजनाओं की गलत बिक्री अथवा हेराफेरी के मामलों में स्वत: कमी आएगी।