यद्यपि उधारी देने में तेजी आ रही है लेकिन जोखिम न उठाने का मामला अभी भी दिख रहा है। गैर-बैंकिंग फाइनैंस कंपनियां (एनबीएफसी) अब ऋण देने के लिए अधिक कोलेटरल (जमानत) की मांग कर रही हैं।
एनबीएफसी के सूत्रों ने बताया कि कुछ खास मामलों, जैसे प्रवर्तकों की फंडिंग, में एनबीएफसी ने न केवल जमानत की जरूरतों को दोगुना कर दिया है बल्कि डिफॉल्ट के जोखिम से खुद को सुरक्षित रखने के लिए वे अधिक सिक्योरिटी की मांग भी कर रहे हैं।
उदाहरण के लिए, प्रवर्तकों के ऋण के लिए, जब सिक्योरिटी के तौर पर केवल शेयरों को गिरवी रखा जाता है तो जरूरी औसत कवर ऋण का लगभग तीन गुना होता है जबकि छह महीने पहले यह दोगुना हुआ करता था।
एक बड़े एनबीएफसी के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, ‘यह सब प्रवर्तकों और गिरवी रखे गए शेयरों की तरलता पर निर्भर करता है। यह चार गुना तक हो सकता है लेकिन यह न्यूनतम ऋण के मूल्य का ढाई गुना है।’
अक्टूबर 2008 से एनबीएफसी बैंकों से काफी अधिक दरों पर उधार ले रहे हैं। दूसरी तरफ, इनके सौदों में डिफॉल्ट की संभावनाएं अधिक होती हैं। इस कारण से एनबीएफसी के प्रति बैंक का नजरिया प्रभावित हुआ है जिससे बाध्य होकर वित्तीय कंपनियां अधिक जमानत रखने की मांग कर रही हैं। यह चलन केवल प्रवर्तकों की फंडिंग तक ही सीमित नहीं है।
वैसे एनबीएफसी जो बुनियादी ढांचों और वाहन फाइनैंस के क्षेत्र में हैं ऋण डिफॉल्ट को कवर करने के लिए अधिक सिक्योरिटी की मांग कर रहे हैं। बुनियादी और वाहन फाइनैंस करने वाली एनबीएफसी, जो पहले ऋण राशि का 90 पतिशत जमानत के तौर पर लिया करती थीं, अब उधार लेने वालों से नकदी, इक्विटी या डायरेक्ट इक्विटी प्रतिभागिता के रूप में अधिक जमानत रखने को कह रही हैं।
बड़ी बुनियादी फाइनैंसिंग कंपनी में से एक के सूत्रों ने बताया कि कंपनी अब जमानत के तौर पर ऋण की राशि के 120 प्रतिशत की मांग कर रही है जबकि पहले जमानत ऋण राशि का 80 फीसदी हुआ करता था।
किसी विशेष मुद्दे पर बातचीत से इनकार करते हुए आईडीएफसी के एक अधिकारी ने कहा, ‘आमतौर पर उधार देने वालों द्वारा अधिक सिक्योरिटी की मांग की जा रही है क्योंकि वे अब काफी सतर्कता बरत रहे हैं। लेकिन यह विशेष मामलों के लिए है और सौदे तथा प्रवर्तक पर निर्भर करता है।’
हालांकि, परियोजना ऋण के बारे में ऋणदाताओं का कहना है कि पहले जैसा जमानत जो नकदी प्रवाह पर लगने वाले शुल्क, प्रवर्तक की गारंटी, शेयरों को गिरवी रखने और कॉर्पोरेट गारंटी के तौर पर हुआ करता था, आज भी जोखिमों को कवर करने के लिए पर्याप्त है।
इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस कंपनी श्रेई ने कहा कि मंदी बढ़ने से यह सभी ऋणों के लिए कम से कम 10 प्रतिशत अधिक जमानत की मांग कर रही है। श्रेई इन्फ्रास्ट्रक्चर फाइनैंस के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक हेमंत कनोरिया ने कहा, ‘जमानत की राशि उधार लेने वाले के प्रोफाइल और परिसंपत्ति की गुणवत्ता पर निर्भर करता है। पहले जमानत की राशि 60 से 90 फीसदी के दायरे में हुआ करती थी।’
