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श्रीमती जी का बजट हुआ और भारी

Last Updated- December 06, 2022 | 12:01 AM IST

एफएमसीजी कंपनियों की बात करें, तो कच्चे माल की कीमतों में तेजी से इसके उत्पादों के मूल्यों में तकरीबन 10 फीसदी का उछाल आया है, जिसका भार अंतत: उपभोक्ताओं को ही वहन करना पड़ रहा है।


महंगाई की मार हर क्षेत्र पर पड़ रही है।पिछले कुछ हफ्ते से लगभग सभी एफएमसीजी उत्पादों की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया है। गोदरेज के नं.1 साबुन की 100 ग्राम टिकिया की कीमत 2.5 रुपये बढ़कर 13 रुपये हो गई है। इसी तरह विप्रो के संतूर की कीमत में भी दो रुपये का उछाल आया है और यह 16 रुपये में उपलब्ध है।


रेककिट बेनकिशर के डेटोल की कीमत दो रुपये बढ़कर 17 रुपये पहुंच गई है और हिंदुस्तान यूनिलिवर के पीयर्स साबुन की कीमत दो रुपये बढ़कर 23 रुपये हो गई है। आम लोगों के बीच सबसे अधिक बिकने वाले साबुन लाइफबॉय ब्रांड की कीमत भी एक रुपये बढ़कर 12 रुपये पहुंच गई है।


खाद्य उत्पादों की कीमतों में भी खूब तेजी देखने को मिल रही है। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन के मुख्य महाप्रबंधक आर. सोढ़ी ने बताया कि दूध के दामों में फरवरी और अगस्त 2007 में और फिर फरवरी 2008 में प्रति किलो एक-एक रुपये की बढ़ोतरी की गई है। इसके साथ ही कंपनी ने आइसक्रीम के दामों में भी फरवरी माह में 1 से 2 फीसदी की बढ़ोतरी की है।


प्रोक्टर एंड गैम्बल के एरियल डिटर्जेंट की कीमत 6 रुपये प्रति किलो बढ़कर 122 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है। हिंदुस्तान यूनिलिवर के सर्फ एक्सल की कीमत में 10 रुपये का उछाल आया है और यह 126 रुपये प्रति किलो बिक रहा है। कुछ उत्पादों की कीमतों में बढ़ोतरी नहीं की गई है, लेकिन उसकी मात्रा में कमी की गई है। ऐसे उत्पादों में व्हील वार्शिंग पाउडर शामिल है, जिसकी कीमत तो नहीं घटाई गई, लेकिन उसकी मात्रा एक किलो से घटाकर 800 ग्राम कर दिया गया है।


नेस्ले इंडिया के प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी अपनी गुणवत्ता से समझौता नहीं कर सकती है। ऐसे में कच्चे माल की कीमतों में उछाल से उत्पादों की कीमत बढ़ना लाजिमी है और उपभोक्ता भी इस बात को अच्छी तरह समझते हैं।


हिंदुस्तान यूनिलिवर लिमिटेड के एक प्रवक्ता ने बताया कि कंपनी ने अपने प्रमुख ब्रांड लक्स की कीमत में 5 फीसदी की कटौती की है। कंपनी का कहना है कि केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री ने घरेलू और पर्सनल केयर उत्पाद पर उत्पाद शुल्क 16 फीसदी से घटाकर 14 फीसदी करने की घोषणा की थी। इसी के मद्देनजर इसकी कीमत में कमी की गई है।


एफएमसीजी कंपनियों का कहना है कि साबुन के निर्माण में सबसे अधिक पाम ऑयल का इस्तेमाल होता है, लेकिन जनवरी से अब तक पाम ऑयल की कीमतों में 80 फीसदी का उछाल आया है। वहीं सोडा ऐश जिसका उपयोग डिटर्जेंट के निर्माण में होता है, उसकी कीमतों में भी पिछले छह माह के दौरान 20 फीसदी का उछाल आया है।


जनवरी से अब तक मूंगफली तेल की कीमतों में 7.81 फीसदी का, जबकि चीनी और गेहूं की कीमतों में क्रमश: 9.34 फीसदी और 3.09 फीसदी का उछाल आया है।हालांकि वायदा करार की वजह से वेजिटेबल पाम ऑयल की कीमतों में अगले तीन से छह महीने में थोड़ी कमी आ सकती है, लेकिन करार खत्म होने के बाद इसकी कीमत में भी उछाल आने की पूरी संभावना है।


गोदरेज कंज्यूमर प्रोडक्ट के एक्जिक्यूटिव डायरेक्टर और अध्यक्ष होशेदार प्रेस का कहना है कि जिस तरह से कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है, उससे कंपनियां अपने उत्पादों के मूल्य और बढ़ा सकती हैं। आईटीसी फूड्स डिविजन के चीफ एक्जिक्यूटिव रवि नवारे का कहना है कि कच्चे माल की कीमतों में तेजी आने से चुनिंदा उत्पादों के दामों में बढ़ोतरी करना कंपनी की मजबूरी बन गई है।

First Published - April 28, 2008 | 12:24 PM IST

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