मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस को भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए संभावनाएं बेहतर दिख रही हैं इसलिए उसने देश की सॉवरिन रेटिंग की संभावना ऋणात्मक से बदलकर स्थिर कर दी है। मगर उसने विदेशी और घरेलू दोनों मुद्राओं पर रेटिंग पहले की तरह निम्न निवेश स्तर पर रखी है। विशेषज्ञों ने कहा कि इससे भारतीय प्रतिभूतियों में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) के ऋण आवंटन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। मूडीज के मुताबिक संभावना को ऋणात्मक से बदलकर स्थिर कर फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि वास्तविक अर्थव्यवस्था तथा वित्तीय प्रणाली के बीच नकारात्मक प्रतिक्रिया से पैदा होने वाले गिरावट के जोखिम घट रहे हैं।
इससे पहले स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स ने भी भारत की संभावना स्थिर बताई थी मगर फिच ने संभावना ऋणात्मक ही बताई है। तीनों रेटिंग एजेंसियों ने भारत को निम्न निवेश श्रेणी की रेटिंग दी है। संभावना में सुधार का निर्णय सितंबर में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की मूडीज के साथ बैठक के बाद हुआ है। उस बैठक में अधिकारियों ने रेटिंग बढ़ाने की बात कही थी। मगर मूडीज ने उनकी बात आंशिक तौर पर ही मानी है। बैठक में मूडीज ने कहा था कि भारत की वित्तीय या राजकोषीय मजबूती को देखते हुए जोखिम की आशंका पहले के मुकाबले कम हुई है।
मूडीज ने कहा कि बेहतर पूंजी और नकदी की अच्छी स्थिति से बैंक तथा गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थानों के स्तर पर जोखिम मूडीज के पहले के अनुमान के मुकाबले कम हुआ है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अधिक कर्ज बोझ और ऋण वहन को लेकर कमजोर स्थिति के कारण जोखिम बना हुआ है। लेकिन मूडीज को उम्मीद है कि आर्थिक परिवेश अगले कुछ वर्षों में केंद्र एवं राज्य सरकारों के राजकोषीय घाटे को धीरे-धीरे कम करने में मददगार होगा। इससे सरकारी साख में और गिरावट को रोका जा सकेगा।
पीडब्ल्यूसी इंडिया में आर्थिक सलाहकार सेवा के लीडर रनेन बनर्जी ने कहा, ‘मूडीज के कदम से भारत के बॉन्डों में एफपीआई द्वारा ज्यादा डेट का निवेश होना चाहिए। जहां तक इक्विटी बाजार का सवाल है तो एफपीआई रेटिंग पर ध्यान नहीं देते हैं। लेकिन इससे एफपीआई को भरोसा मिलता है कि विदेशी मुद्रा विनिमय को जोखिम नहीं है और इससे भारत में उनके इक्विटी के आवंटन पर कुछ असर पड़ सकता है।’
मूडीज ने भारत की रेटिंग को बीएए3 पर बरकरार रखा है। उसने कहा कि रेटिंग को बरकरार इसलिए रखा गया है क्योंकि भारत की बड़ी और विविधता भरी अर्थव्यवस्था में वृद्घि की काफी संभावना है। इसके साथ बाह्य स्थिति मजबूत है और सरकारी ऋण के लिए घरेलू वित्तीय आधार भी स्थिर है। भारत की दीर्घावधि स्थानीय मुद्रा बॉन्ड सीलिंग को ए2 पर और विदेशी मुद्रा बॉन्ड को ए3 पर बराकरार रखा गया।
रेटिंग एजेंसी ने कहा कि अगर भारत की आर्थिक वृद्घि की संभावना उसकी उम्मीदों से अधिक रही और सरकार के आर्थिक तथा वित्तीय क्षेत्रों के सुधारों को प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन किया गया, तो वह रेटिंग में सुधार कर सकती है।
