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RBI MPC Meet: मौद्रिक नीति समिति की बैठक आज से, क्या रीपो रेट में होगा बदलाव?

एमपीसी की बैठक अहम होती है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों के भविष्य की दिशा तय की जाती है।

Last Updated- December 04, 2024 | 9:12 AM IST
Monetary Policy Committee meeting from tomorrow, will there be a change in the repo rate? मौद्रिक नीति समिति की बैठक कल से, क्या रीपो रेट में होगा बदलाव?

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दिसंबर की बैठक आज से शुरू होगी मगर आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (समिति के अध्यक्ष भी हैं) के कार्यकाल को बढ़ाया जाएगा या नहीं, इस बारे में अभी तक स्पष्टता नहीं है। एमपीसी बैठक के नतीजों की घोषणा शुक्रवार को की जाएगी। पूर्व प्रशासनिक अ​धिकारी श​क्तिकांत दास को पहली बार 2018 में आरबीआई का गवर्नर नियुक्त किया गया था। उसके बाद 2021 में उन्हें सेवा विस्तार मिला था और उनके मौजूदा कार्यकाल की अव​धि अगले हफ्ते समाप्त हो रही है।

एमपीसी की बैठक अहम होती है क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था में ब्याज दरों के भविष्य की दिशा तय की जाती है। समिति के प्रत्येक सदस्य के पास रीपो दर और नीतिगत रुख पर एक-एक मत देने का अ​धिकार होता है। अगर सदस्यों के मत बराबर होते हैं तो गवर्नर दूसरा या निर्णायक वोट देते हैं।

कमई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर में 250 आधार अंक की बढ़ोतरी किए जाने के बाद समिति ने दरें यथावत रखी हैं। अक्टूबर की नीतिगत बैठक में रुख को बदलकर तटस्थ कर दिया गया था। समिति के बाहरी सदस्य नागेश कुमार ने अक्टूबर की बैठक में रीपो दर 25 आधार अंक घटाने के पक्ष में अपना मत दिया था।

6 सदस्यीय समिति में तीन बाहरी सदस्य अपेक्षाकृत नए हैं और अक्टूबर की बैठक में उन्होंने पहली बार हिस्सा लिया था। बाहरी सदस्यों का कार्यकाल 4 साल तय किया गया है। सरकार ने पहले ही आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र के उत्तराधिकारी तलाशने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जिनका वर्तमान कार्यकाल जनवरी में समाप्त हो रहा है।

दूसरी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 5.4 फीसदी रहने के बाद दिसंबर की बैठक हो रही है, इसलिए इसे अहम माना जा रहा है। आरबीआई ने जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था।

यूबीएस की भारत में मुख्य अर्थशास्त्री तन्वी गुप्ता जैन ने कहा, ‘सितंबर तिमाही में अनुमान से धीमी जीडीपी वृद्धि रहने से आरबीआई पर देर-सवेर रीपो दर घटाने का नि​श्चित तौर पर दबाव बढ़ेगा। मगर उसे मौसमी कारकों के कारण बढ़ रही खुदरा मुद्रास्फीति को भी ध्यान में रखना होगा।’

बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा अर्थशास्त्रियों के बीच कराए गए सर्वेक्षण में 10 में से 9 ने प्रतिभागियों ने कहा था कि वृद्धि दर में तेज गिरावट के बावजूद आरबीआई दिसंबर में रीपो दर यथावत रख सकता है और मुख्य मुद्रास्फीति घटती है तो फरवरी में दर में कटौती की जा सकती है।

अ​धिकतर प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर अनुमान को घटा सकता है और मुद्रास्फीति के अपने 4.5 फीसदी अनुमान को बढ़ा सकता है।

इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘जीडीपी वृद्धि दर में नरमी के बावजूद दिसंबर की बैठक में एमपीसी द्वारा रीपो दर में कटौती करने की संभावना नहीं है। हालांकि वृद्धि दर अनुमान में जरूरी कमी की जा सकती है। अगर अगले दो महीने मुद्रास्फीति में नरमी आती है तो अगले साल फरवरी में दर में कटौती की संभावना बन सकती है।’

नॉर्थ ब्लॉक (वित्त मंत्रालय) के हालिया बयान से भी संकेत मिलता है कि सरकार ब्याज दरें कम करना चाहती हैं।

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय स्टेट बैंक की सालाना व्यापार एवं आ​र्थिक सम्मेलन में पिछले महीने कहा था, ‘जब आप देश की वृद्धि की आवश्यकताओं को देखते हैं तो आपको लोगों से यह सुनने को मिलेगा कि उधारी लागत वाकई काफी ज्यादा है। ऐसे समय में जब उद्योग विस्तार करना और क्षमता बढ़ाना चाह रहे हैं तो ब्याज दर कम होना चाहिए।’

दास ब्याज दर में कटौती पर विचार करने से पहले मुख्य खुदरा मुद्रास्फीति को 4 प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में लाने पर जोर दे रहे हैं। पिछले महीने उन्होंने कहा था, ‘मूल्य स्थिरता से लंबे समय में सतत उच्च वृद्धि में मदद मिलती है। साथ ही कीमतों का ​स्थिर रहना इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि ऊंची मुद्रास्फीति से गरीबों पर अनावश्यक बोझ पड़ता है।’

ऊंची ब्याज दरों का ऋण वृद्धि पर भी असर दिखने लगा है। चालू वित्त वर्ष की शुरुआत में ऋण वृद्धि 16 फीसदी थी जो अब घटकर 11 फीसदी रह गई है।

मैक्वेरी कैपिटल में फाइनैं​शियल सर्विसेज रिसर्च के प्रमुख और प्रबंध निदेशक सुरेश गणपति ने कहा, ‘हर तरह के ऋण मांग में नरमी देखी जा रही है। पहले केवल असुर​क्षित ऋण में नरमी आई थी मगर अब सुर​क्षित सेगमेंट के कर्ज की रफ्तार भी धीमी हो गई है। मॉर्गेज ऋण की वृद्धि 18 फीसदी से घटकर 12 फीसदी रह गई है। वाहन ऋण 20 फीसदी से कम होकर 11 फीसदी रह गया है।’

उन्होंने कहा, ‘मेरी राय में ऋण वृद्धि से जीडीपी में तेजी आएगी और इसका कोई दूसरा तरीका नहीं है।’

First Published - December 3, 2024 | 10:27 PM IST

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