भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने साफ किया है कि बढ़ी मुद्रास्फीति को काबू करने में लाना उसकी पहली प्राथमिकता है। वह धन की आपूर्ति रोककर कड़े मौद्रिक उपायों की राह पर ही चलता रहेगा।
यह बात प्रधानमंत्री के पूर्व आर्थिक सलाहकार सी. रंगराजन ने कहीं है। एक टीवी चैनल से बातचीत में प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के पूर्व चेयरमैन सी. रंगराजन ने कहा कि मुद्रास्फीति का नीचे आना ही मौद्रिक उपायों से जुड़े अधिकारियों के आरामदायक स्थिति होगी।
लिहाजा अभी कड़े मौद्रिक उपाय जारी ही रहेंगे। अगस्त के प्रारंभ में मुद्रास्फीति की दर 12.44 फीसदी हो गई थी। यह पिछले 13 सालों में सर्वोच्च है। जून में कच्चे तेल और खुदरा मूल्य सूचकांक के बढ़ने के बाद से ही केंद्रीय बैंक ने कड़े मौद्रिक उपाय किए हैं।
रंगराजन के कहा कि पिछले तीन सालों में धन की आपूर्ति 20 फीसदी की दर से बढ़ी है। इससे महंगाई पर काबू रख पाना खासा मुश्किल हो रहा है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति का इस तरह बढ़ना किसी के लिए भी अच्छा नहीं है। भले ही देश 8-9 फीसदी दर से बढ़ रहा हो। उनके अनुसार धन आपूर्ति में होने वाली वृध्दि 17 फीसदी के आसपास ही होना चाहिए।
एक अगस्त को धन आपूर्ति की दर दो सप्ताह पहले के 20 फीसदी स्तर से कुछ कम होकर 19.6 फीसदी हो गई थी। हालांकि उन्होंने आने वाले 4-5 सालों में विकास दर के 8-9 फीसदी रहने की उम्मीद है। उधर, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के डिप्टी गवर्नर वी. लीलाधर ने बेंगलूरु में एसबीआई के एक कार्यक्रम में कहा कि बैंकिंग सेक्टर के लिए इस साल एडवांस की स्थिति उम्मीद से बेहतर है।
उन्होंने बताया कि जुलाई 2007 से जून 2008 के बीच 20 फीसदी क्रेडिट ग्रोथ की ही उम्मीद की गई थी, लेकिन यह 26 फीसदी रही। उन्होंने बताया कि जारी वित्तीय वर्ष के शुरुआती महीनों में रिटेल लेंडिग में जरूर कुछ गिरावट आई है, लेकिन कुल मिलाकर क्रेडिट ग्रोथ की दर अच्छी बनी हुई है।