देश की नई खदान नीति दो महीने के अंदर प्रभाव में आने की उम्मीद है। इस बात की जानकारी खान राज्यमंत्री टी सुब्बारामी रेड्डी ने दी।
रेड्डी ने बताया कि इस नई नीति के तहत उन्हीं आवेदकों को लौह-अयस्क खदान आबंटित किए जाएंगे, जो इसकी गुणवत्तापूर्ण खुदाई करेंगे। यह इस्पात उत्पादकों के लिए एक राहत देने वाली बात होगी,क्योंकि इस तरह के लौह अयस्क उनके लिए काफी महत्वपूर्ण होगा।
भारतीय वाणिज्य महासंघ के तत्वावधान में आयोजित इस्पात उत्पादक संगठनों की एक बैठक को संबोधित करते हुए इस्पात मंत्री रामविलास पासवान ने कहा कि इस्पात की मांग 13 प्रतिशत से अधिक हो गई है। जबकि कच्चे इस्पात का उत्पादन 2003-04 में 10 से 11 प्रतिशत था, जबकि 2006-07 में यह गिरकर 5.6 प्रतिशत हो गया था।
इस तरह यह बात साफ है कि इस्पात की मांग और आपूर्ति में खाई बढ़ती जा रही है। यह खाई बढ़कर 69 प्रतिशत हो गई है। इसपर पासवान ने कहा कि इस संदर्भ में आपूर्ति को बढ़ाने और कीमतों के दबाव को कम करने की जरूरत है।
सोमवार को होनेवाली समीक्षा बैठक के बाद इस्पात मंत्रालय संबंधित राज्य सरकारों, इस्पात उत्पादकों और केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों को मिलाकर एक उच्चस्तरीय समिति बनाने पर विचार करेगी। इसमें इस्पात के उत्पादन, मांग और आपूर्ति के सभी पहलुओं पर गौर किया जाएगा। दरअसल बहुत सारे विस्तार का काम लौह अयस्क की अनुपलब्धता, भू-अधिग्रहण की समस्या और पर्यावरणीय मुद्दों के कारण रुका हुआ है।
अभी इस्पात का उत्पादन 5 करोड़ 80 लाख टन है। 2011-12 तक भारत ब्राउनफील्ड विस्तार से 4 करोड टन और ग्रीनफील्ड विस्तार से 2 करोड़ 80 लाख टन इस्पात उत्पादन करने की योजना बना रही है।
