इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि मेमरी चिप निर्माता माइक्रॉन टेक्नोलॉजी द्वारा संयत्र लगाने की घोषणा किए जाने के बाद कई सेमीकंडक्टर निर्माताओं ने देश में चिप निर्माण संयंत्र लगाने में दिलचस्पी दिखाई है।
बिजनेस स्टैंडर्ड के साथ एक साक्षात्कार में चंद्रशेखर ने कहा कि मेमरी चिप निर्माण में कुछ बड़ी कंपनियां एसेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग और पैकेजिंग (एटीएमपी) तथा निर्माण संयंत्रों के लिए भारत पर ध्यान दे रही थीं। इसके अलावा, कम्पाउंड सेमीकंडक्टर एटीएमपी कंपनियां भारत में निवेश की संभावना तलाश रही हैं।
माइक्रॉन ने पिछले महीने सरकार की 10 अरब डॉलर की पीएलआई योजना के तहत गुजरात में सेमीकंडक्टर एटीएमपी संयंत्र लगाने की योजना का खुलासा किया था। कंपनी ने 2024 के अंत तक 2.75 अरब डॉलर का संयंत्र चालू करने की योजना बनाई है।
चंद्रशेखर ने कहा, ‘मौजूदा समय में यह स्पष्ट हो गया है कि कई कंपनियां भारत में निवेश करने में दिलचस्पी दिखा रही हैं। मेमरी चिप में बड़ा नाम माइक्रॉन के कदम से उन अन्य कंपनियों के लिए निश्चित तौर पर महत्वपूर्ण संदेश गया है जो इस क्षेत्र से दूरी बनाए हुए थीं और सतर्कता के साथ इन अवसरों की परख कर रही थीं। अब इन कंपनियों का कहना है कि यदि माइक्रॉन ऐसा कर सकती है, तो भारत में हमें इस क्षेत्र में निवेश क्यों नहीं करना चाहिए।’
चिप निर्माण के लिए स्थानीय आपूर्ति श्रृंखलाओं का अभाव भारत में चिप निर्माण तंत्र निर्माण की राह में उद्योग हितधारकों की मुख्य चिंताओं में से एक था। चिप निर्माण के लिए कई तरह के कच्चे माल की जरूरत होती है। मंत्री ने कहा, ‘माइक्रॉन की घोषणा से फैब और एटीएमपी की आपूर्ति श्रृंखला के बारे में जागरुकता भी पैदा हो रही है, चाहे वह गैस, मिनरल, उपकरण की प्रदाता हो या लॉजिस्टिक की, उन्हें नए अवसरों की तलाश शुरू करनी चाहिए। निश्चित तौर पर माइक्रॉन आपूर्ति श्रृंखला और भारत आने वाली अन्य कंपनियों के लिए प्रेरक साबित होगी।’
चंद्रशेखर ने कहा कि अपने कौशल कार्यक्रम के तहत, सरकार ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग भी मुहैया करा सकतीहै, जिसमें सीखने वाले को पाठ्यक्रम के एक सेमेस्टर के लिए अगले एक या दो साल के दौरान देश से बाहर चिप फैब्स में प्रशिक्षित किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा कि उद्योग हितधारकों द्वारा दिए गए सुझावों के आधार पर सरकार डिजाइन-केंद्रित रियायत (डीएलआई) योजना का दायरा सेमीकंडक्टर कंपनियों के लिए बढ़ा सकती है, जिनमें बड़ी कंपनियां (विदेशी और भारतीय, दोनों) शामिल होंगी।
सेमीकंडक्टर पीएलआई कार्यक्रम के तहत सरकार उन विशेष डिजाइन की शुद्ध बिक्री पर 6 प्रतिशत तक रियायत देगी जो भारतीय बौद्धिक संपदा (आईपी) में मदगार हों। योजना के मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, डीपीआईआईटी द्वारा निर्धारित स्टार्टअप और एमएसएमई इन रियायतों के लिए आवेदन करने के पात्र हैं।
सरकार ने नवाचार से जुड़ी सेमीकंडक्टर निर्माण कंपनियों की मदद के लिए 20 करोड़ डॉलर की राशि निर्धारित की है। अब तक एआई से लेकर वेक्टर प्रोसेस से जुड़े सात स्टार्टअप को इस फंडिंग के लिए स्वीकृति दी गई है। यह योजना सरकार द्वारा वर्ष 2021 में घोषित 10 अरब डॉलर के इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन का हिस्सा है।