भारत में निर्माण गतिविधियां जून महीने में एक बार फिर सिकुड़ी नजर आ रही हैं। क्षेत्रीय स्तर पर बंदी ने मांग रोक रखी है। श्रमिकों व लॉजिस्टिक्स की समस्या बनी हुई है। आईएचएस मार्किट इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) सर्वे के आज जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिलती है। जून महीने में विनिर्माण पीएमआई 47.2 पर रहा। हालांकि यह मई के 30.8 और अप्रैल के ऐतिहासिक निचले स्तर 27.4 की तुलना में बेहत है। पीएमआई के आंकड़ों में 50 से ऊपर विस्तार और 50 से नीचे संकुचन दिखाता है।
आईएचएस मार्किट के अर्थशास्त्री इलियट केर ने कहा, ‘भारत का विनिर्माण क्षेत्र जून में स्थिरता की ओर बढ़ा है? आउटपुट और नए ऑर्डर में संकुचन अप्रैल और मई की तुलना में बहुत कम रहा है। बहरहाल हाल में कोरोनावायरस के नए मामले बढऩे और लॉकडाउन को विस्तार दिए जाने से मांग लगातार कमजोर नजर आ रही है।’ केर ने चेतावनी दी है कि आगे मामले और बढऩे से लॉकडाउन बढ़ाना पड़ सकता है , जो इस क्षेत्र की रिकवरी को पटरी से उतार देगा।
अप्रैल में देशबंदी और निर्यात ऑर्डर सूख जाने की वजह से हर क्षेत्र में काम करीब ठप हो गया। उसके बाद से नौकरियां बहुत ज्यादा प्रभावित हुई हैं और जून महीने में इसमें और गिरावट आई है। पीएमआई सर्वे से पता चलता है कि विनिर्माताओं ने नौकरियों में एक बार फिर कटौती की है। संक्रमण वाले इलाकों के बाहर 1 जून को लॉकडाउन खत्म किए जाने के बाद सामान्य ङ्क्षजदगी बहाल होने के बावजूद विनिर्माण गतिविधियां पूरी तरह से जोर नहीं पकड़ सकी हैं।
