LPG Price: खाना बनाने के सिलिंडर में 200 रुपये की कटौती किए जाने से सितंबर में खुदरा मुद्रास्फीति (Retail Inflation) में 20 से 30 आधार अंक (बीपीएस) की गिरावट संभव है। विश्लेषकों के मुताबिक इससे खुदरा मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के छह फीसदी के ऊपरी दायरे से नीचे आ सकती है।
सिटी रिसर्च बैंक के एक विश्लेषक के मुताबिक उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपाई) में एलपीजी का प्रत्यक्ष भार 1.29 प्रतिशत है। इससे तैयार भोजन के दाम पर भी परोक्ष असर पड़ता है, जिसका भार 5.6 फीसदी है।
सिटी रिपोर्ट के मुताबिक, ‘इसके मुताबिक मुद्रास्फीति में 30 आधार अंक की गिरावट आएगी। टमाटर के बढ़े हुए दाम भी घटने लगे हैं। लिहाजा सितंबर, 2023 में मुद्रास्फीति 6 फीसदी से कम आ सकती है। हमारा अनुमान है कि वित्त वर्ष 24 की शेष अवधि में उपभोक्ताओं के 200 अरब रुपये या सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 0.07 फीसदी की बचत होगी।’
सब्जियों के दामों में गिरावट का असर सितंबर में दिखाई देगा
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक इकनॉमिक्स रिसर्च में भी ऐसे ही रुझान हैं। सब्जियों के दामों में गिरावट का असर सितंबर में दिखाई देगा। इसके मुताबिक, ‘हमारे सितंबर के अनुमानों के अनुसार इसमें और गिरावट आएगी। टमाटर के दामों में गिरावट और एलपीजी के दाम में कटौती होने से यह गिरावट आएगी।’
उच्च मुद्रास्फीति और राज्यों व आम चुनाव निकट आने के दौर में एलपीजी के सभी सिलिंडरों के दामों में 200 रुपये की कटौती का फैसला किया गया है। जुलाई में खुदरा मुद्रास्फीति 15 महीने के उच्च स्तर 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी। इसका कारण सब्जियों, दालों, अनाजों और मसालों के दामों में बेतहाशा वृद्धि होना था।
भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी नवीनतम मौद्रिक नीति की समीक्षा में सितंबर तिमाही के मुद्रास्फीति के अनुमानों को संशोधित कर 6.2 प्रतिशत किया और वित्त वर्ष 24 के लिए 5.4 प्रतिशत किया है। हालांकि नीतिगत दर 6.5 प्रतिशत में कोई बदलाव नहीं किया गया है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस, ‘एलपीजी के दाम में कटौती करने का निश्चित रूप से मुद्रास्फीति पर सुखद प्रभाव पड़ेगा। हमें देखना होगा कि यह कटौती कब तक रहती है और क्या इसे चुनाव के बाद वापस लिया जाता है। यह कटौती अन्य सब्सिडी के लिए दशा व दिशा निर्धारित करने वाली हो सकती है।’
हालांकि आईडीएफसी की रिपोर्ट के मुताबिक अगस्त में मॉनसून असामान्य रहने के कारण मुद्रास्फीति का जोखिम है। अगस्त में ऐतिहासिक रूप से कम बारिश हुई है। हालांकि सितंबर में मांग और आपूर्ति में कमी होने के कारण प्याज के दामों में उछाल आ सकता है जिस पर प्रमुख तौर पर देखना होगा।
अर्थशास्त्रियों के अनुसार बाजार का ध्यान अब पेट्रोल और डीजल के दामों पर रहेगा। इन दोनों के दामों में कई वर्षों से बदलाव नहीं किया गया है।
सिटी रिसर्च के मुताबिक, ‘तेल विपणन कंपनियों को वैश्विक पेट्रोल/डीजल के दाम अपने से कटौती करने का अवसर नहीं देते हैं। इनके दामों में कमी संभवत उत्पाद शुल्क में छूट मुहैया करवा कर दी जा सकती है। राज्य चुनाव महत्त्वपर्ण होने के कारण इस छूट से इनकार भी नहीं किया जा सकता है।’
सिटी रिसर्च के अनुसार उत्पाद शुल्क में 5 रुपये प्रति लीटर की कटौती होने पर राजकोषीय लागत 400-500 अरब रुपये होगी या वित्त वर्ष 24 की दूसरी छमाही (सितंबर से मार्च) की जीडीपी का 0.15 प्रतिशत है। इससे मुद्रास्फीति में 10-15 आधार अंक की गिरावट आ सकती है।
विशेषज्ञों के मुताबिक इस कदम से यह चर्चा शुरू हो सकती है कि चुनाव से पहले के साल में मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए अधिक राजकोषीय उपाय कर सकती है। इसके अलावा ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मदद पहुंचाने के लिए भी कदम उठाए जा सकते हैं।