भारतीय उद्योग जगत का संपत्ति कारोबार अनुपात वित्त वर्ष 2021 में घटकर करीब 70 फीसदी रह गया है। इससे संकेत मिलता है कि सभी क्षेत्रों में क्षमता उपयोगिता स्तर में आगे और गिरावट आ सकती है। साथ ही इससे कंपनियों की नए चरण की विस्तार क्षमता पर भी सवाल उठ सकते हैं। वित्त वर्ष 2020 में यह अनुपात 87 फीसदी था और वित्त वर्ष 2006 में यह रिकॉर्ड 116 फीसदी पर था। विश्लेषकों को उम्मीद है कि संपत्ति कारोबार अनुपात और क्षमता उपयोगिता वित्त वर्ष 2022 में सुधर सकती है। लेकिन उन्होंने कहा कि कंपनियां विस्तार के लिए तभी आगे आएंगी, जब अनुपात 100 फीसदी के आसपास हो।
जेएम फाइनैंशियल इंस्टीट्यूशनल इक्विटी में प्रबंध निदेशक और मुख्य रणनीतिकार धनंजय सिन्हा ने कहा, ‘संपत्ति कारोबार अनुपात औद्योगिक क्षेत्र में क्षमता के उपयोग का अच्छा संकेतक माना जाता है और ताजा अनुपात से पता चलता है कि ज्यादातर क्षेत्रों की कंपनियां अपनी पूरी क्षमता का उपयोग नहीं कर पा रही हैं। ऐसे में उनके पास विस्तार या नई परियोजनाओं की गुंजाइश कम है।’ उन्होंने कहा कि कंपनियां पूंजीगत निवेश तभी करेंगी जब यह अनुपात 100 फीसदी के करीब हो और बाजार में तेजी हो। वित्त वर्ष 2010 से पहले पूंजीगत निवेश में तेजी इसी वजह से आई थी। उदाहरण के लिए वित्त वर्ष 2021 में घरेलू बाजार में यात्री वाहनों की बिक्री वित्त वर्ष 2016 के स्तर पर रही और दोपहियों की बिक्री सात साल में सबसे कम रही। देश में कुल विनिर्माण में करीब एक-चौथाई योगदान वाहन उद्योग का है।
बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों और तेल एवं गैस क्षेत्र को छोड़कर (लेकिन रिलायंस इंडस्ट्रीज शामिल है) 682 कंपनियों की एकीकृत शुद्घ बिक्री वित्त वर्ष 2021 में 7 फीसदी घटकर 46.6 लाख करोड़ रुपये रही, जो तीन साल में सबसे कम है। इसकी तुलना में इन कंपनियों का शुद्घ मुनाफा साल भर पहले के मुकाबले 55 फीसदी बढ़कर 3.38 लाख करोड़ रुपये रहा। लेकिन इसमें कम आधार का भी योगदान है। हालांकि वित्त वर्ष 2021 में वास्तविक मुनाफा वित्त वर्ष 2019 की तुलना में 2.6 फीसदी कम रहा।
कमजोर मांग परिदृश्य के कारण भी कंपनियां नई परियोजनाओं का रुख कम कर रही हैं। बिजनेस स्टैंडर्ड के नमूने में शामिल कंपनियों द्वारा वित्त वर्ष 2021 में 3.6 लाख करोड़ रुपये का एकीकृत पूंजीगत कार्य प्रगति पर था, जो 11 साल में सबसे कम है। नारनोलिया सिक्योरिटीज के मुख्य निवेश अधिकारी शैलेंद्र कुमार ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में प्रबंधन का बयान काफी उत्साहजनक था और कई कंपनियों ने बढ़ी हुई मांग पूरी करने के लिए पूंजीगत निवेश के संकेत दिए थे। हमें देखना है कि हकीकत में कितनी परियोजनाएं धरातल पर उतरती हैं।’
जिंस क्षेत्र की कंपनियों जैसे सीमेंट और स्टील कंपनियों ने महामारी के बाद की अवधि में आय और मुनाफा बढऩे से उत्साहित होकर पूंजीगत निवेश की योजना की घोषणा की है। वे सरकार द्वारा पूंजीगत व्यय बढ़ाने पर दांव लगा रही हैं।
आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष के रुख से स्पष्टï है कि सरकार आने वाले वर्षों में पूंजीगत व्यय में तेजी लाएगी, खास तौर पर बुनियादी ढांचा क्षेत्रों में। इसके साथ ही निजी क्षेत्र में भी पूंजीगत व्यय च्रक में तेजी आने के मजबूत संकेत है।’ अल्ट्राटेक ने 6,500 करोड़ रुपये के निवेश से अपनी क्षमता में 1.98 करोड़ टन इजाफा करने की योजना की घोषणा की है। निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी देसी कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में 75,000 करोड़ रुपये की निवेश योजना के तहत नियुुक्तियां भी शुरू कर दी हैं। वेदांत समूह ने 20 अरब डॉलर निवेश की योजना बनाई है लेकिन इसकी समयसीमा का खुलासा नहीं किया है। अदाणी समूह भी नए बंदरगाहों, हवाई अड्डïों और लॉजिस्टिक्स क्षमता पर निवेश की योजना बना रही है।