facebookmetapixel
सीतारमण बोलीं- GST दर कटौती से खपत बढ़ेगी, निवेश आएगा और नई नौकरियां आएंगीबालाजी वेफर्स में 10% हिस्सा बेचेंगे प्रवर्तक, डील की वैल्यूएशन 40,000 करोड़ रुपये तकसेमीकंडक्टर में छलांग: भारत ने 7 नैनोमीटर चिप निर्माण का खाका किया तैयार, टाटा फैब बनेगा बड़ा आधारअमेरिकी टैरिफ से झटका खाने के बाद ब्रिटेन, यूरोपीय संघ पर नजर टिकाए कोलकाता का चमड़ा उद्योगबिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ इंटरव्यू में बोलीं सीतारमण: GST सुधार से हर उपभोक्ता को लाभ, मांग में आएगा बड़ा उछालGST कटौती से व्यापारिक चुनौतियों से आंशिक राहत: महेश नंदूरकरभारतीय IT कंपनियों पर संकट: अमेरिकी दक्षिणपंथियों ने उठाई आउटसोर्सिंग रोकने की मांग, ट्रंप से कार्रवाई की अपीलBRICS Summit 2025: मोदी की जगह जयशंकर लेंगे भाग, अमेरिका-रूस के बीच संतुलन साधने की कोशिश में भारतTobacco Stocks: 40% GST से ज्यादा टैक्स की संभावना से उम्मीदें धुआं, निवेशक सतर्क रहेंसाल 2025 में सुस्त रही QIPs की रफ्तार, कंपनियों ने जुटाए आधे से भी कम फंड

kharif crops: मानसून में दम फिर भी बोवाई कम, खरीफ फसलों की बोआई का रकबा पिछड़ा

अरहर का रकबा 7 जुलाई तक 6 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 60 फीसदी कम है।

Last Updated- July 07, 2023 | 10:52 PM IST
Kharif sowing

मॉनसून (Monsoon) पूरे देश में जमकर बरस रहा है मगर खरीफ फसलों (kharif crops) की बोआई का रकबा पिछड़ रहा है। 7 जुलाई को समाप्त सप्ताह में इनकी बोआई एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले करीब 8.6 फीसदी कम रकबे में हुई।

खरीफ की बोआई का रकबा मुख्य तौर पर धान, दलहन (विशेषकर अरहर और उड़द) की बोआई में कमी के कारण घटा है। पिछले महीने के दूसरे पखवाड़े से मॉनसून में अच्छी प्रगति दिख रही है, जिस कारण उम्मीद है कि आगे बारिश में तेजी के साथ ही बोआई में कमी की काफी हद तक भरपाई हो जाएगी।

यह भी कहा जा रहा है कि सही समय पर बोआई हो गई तो पैदावार में ज्यादा गिरावट नहीं दिखेगी। देश में करीब 10.1 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर खरीफ फसलें बोई जाती हैं। 7 जुलाई तक इसमें से करीब 3.534 करोड़ हेक्टेयर (लगभग 35 फीसदी) में बोआई पूरी हो चुकी है। इसलिए जुलाई और अगस्त के बाकी हफ्तों में बारिश बेहद जरूरी हो गई है।

अरहर का रकबा 7 जुलाई तक 6 लाख हेक्टेयर था

व्यापारियों ने कहा कि अरहर जैसी कुछ फसलों की पैदावार में गिरावट की आशंका का असर बाजार में पहले ही दिखने लगा है। इसीलिए तमाम कोशिशों के बाद भी इनकी कीमतों में कोई खास कमी नहीं हो पा रही है। इससे खाद्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के प्रयासों को झटका लग सकता है क्योंकि अरहर रोजमर्रा के भोजन में इस्तेमाल होती है।

अरहर का रकबा 7 जुलाई तक 6 लाख हेक्टेयर था, जो पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 60 फीसदी कम है। इसी प्रकार उड़द का रकबा पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले 31.43 फीसदी कम था।

बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘अरहर यानी तुअर के महत्त्वपूर्ण उत्पादक क्षेत्रों जैसे महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में अब भी बारिश कम ही है। ऐसे में बड़े पैमाने पर बोआई अब भी शुरू नहीं हो पाई है।’ आंकड़ों से पता चलता है कि कर्नाटक में मॉनसून फिलहाल करीब 36 फीसदी कमजोर है जबकि महाराष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में बारिश 31 से 43 फीसदी कम रही है। महाराष्ट्र में उड़द के रकबे में भी काफी कमी दिख रही है।

जहां तक खरीफ सीजन की मुख्य फसल धान का सवाल है, तो आंकड़ों के मुताबिक 7 जुलाई तक करीब 54.1 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में इसकी बोआई हो चुकी है। यह पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले करीब 24 फीसदी कम है। पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे प्रमुख धान उत्पादक राज्यों में पिछले साल के मुकाबले बोआई कम रही है।

पंजाब में मॉनसून भी कुछ हद तक दमदार

प्रमुख धान उत्पादक राज्य पंजाब में बड़े पैमाने पर सिंचाई होने के कारण आगे बोआई का रकबा बढ़ने की उम्मीद है। पंजाब में मॉनसून भी कुछ हद तक
दमदार रहा है, जिससे धान की बोआई में मदद मिलेगी।

बोआई के मोर्चे पर पीछे रहने वाली अन्य प्रमुख फसलों में सोयाबीन और कपास शामिल हैं। व्यापार और बाजार सूत्रों का मानना है कि मॉनसून की सक्रियता बढ़ने के साथ ही इनकी बोआई में भी तेजी आएगी।

हैदराबाद के आईसीएफएआई बिजनेस स्कूल के प्रोफेसर एस महेंद्र देव ने कहा कि जून में देश के कई हिस्सों में समय पर बारिश न होने के कारण खरीफ फसलों की बोआई में देरी हुई है। यदि अल नीनो मॉनसून को अगस्त के बाद कमजोर करता है तो खरीफ फसलों की बोआई पर खास असर नहीं पड़ेगा।

First Published - July 7, 2023 | 10:52 PM IST

संबंधित पोस्ट