वित्त वर्ष 2020-21 के लिए व्यक्तिगत आयकर रिटर्न (आईटीआर) दाखिल करने की आखिरी तारीख सरकार बढ़ा चुकी है और अब 31 दिसंबर, 2021 तक रिटर्न दाखिल किया जा सकता है। उसके बाद से सरकार ने कई अन्य फॉर्म जैसे 15जी और 15एच को ऑनलाइन फाइल करने की तमाम अंतिम तिथियां भी आगे सरका दी हैं।
इस साल 30 जून को समाप्त तिमाही के लिए फॉर्म 15जी और 15एच में घोषणा अपलोड करने की अंतिम तारीख अब 30 नवंबर, 2021 हो गई है। 30 सितंबर को खत्म होने वाली तिमाही के लिए आखिरी तारीख इसी साल की 31 दिसंबर मुकर्रर कर दी गई है।
क्या हैं फॉर्म 15जी/15एच?
आयकर कानून के तहत करदाता को कुछ खास तरह की आय (जैसे ब्याज, लाभांश, किराया, बीमा कमीशन आदि) स्रोत पर कर कटौती (टीडीएस) के बगैर ही प्राप्त करने का अधिकार है। एनए शाह ऐंड एसोसिएट्स के पार्टनर गोपाल बोहरा कहते हैं, ‘करदाता ऐसे फायदे तभी ले सकता है, जब उसकी कुल आय शून्य हो। इसके लिए उसे फॉर्म 15जी या 15एच में हलफनामा देना होगा यानी घोषणा करनी होगी और साथ में वैध स्थायी लेखा संख्या (पैन) भी देनी होगी।’
फॉर्म 15जी 60 साल से कम उम्र के व्यक्ति और हिंदू अविभाजित परिवार दाखिल करते हैं, जबकि फॉर्म 15एच वरिष्ठï नागरिकों को दाखिल करना होता है।
कब जमा करना चाहिए?
ये हलफनामे टीडीएस काटने वाली हरेक संस्था के पास अलग-अलग जमा करने होते हैं। बोहरा समझाते हैं, ‘यदि कटौती करने वाली एक ही संस्था से बार-बार भुगतान मिलते हैं (जैसे एक ही बैंक से बैंक जमा अथवा कई प्रकार की जमाओं पर तिमाही ब्याज) तो करदाता वित्त वर्ष के आरंभ में ही फॉर्म 15जी या 15एच में घोषणा दे सकता है। इसके बाद जब भी करदाता की अनुमानित कुल आय में बदलाव होता है तब उसे हलफनामा दाखिल करना होता है।’
बैंक टीडीएस तब काटते हैं, जब किसी एक वित्त वर्ष के भीतर किसी जमाकर्ता की ब्याज आय 40,000 रुपये के पार पहुंच जाती है। वरिष्ठï नागरिकों के मामले में 50,000 रुपये से अधिक ब्याज आय होने पर टीडीएस कटता है। यह कर आयकर अधिनियम की धारा 194ए के तहत काटा जाता है। क्लियरटैक्स के मुख्य कार्य अधिकारी अर्चित गुप्ता बताते हैं, ‘ये फॉर्म एक वित्त वर्ष के लिए ही वैध होते हैं। इसीलिए अगर आय से टीडीएस कटौती बचानी है तो हर वित्त वर्ष के आरंभ में ये फॉर्म जमा करने होंगे।’ ये फॉर्म साल में किसी भी समय जमा किए जा सकते हैं मगर पहली बार आय खाते में आने से पहले ही ऐसा करना सही रहता है।
अंतिम तिथि चूके तो
यदि करदाता ये हलफनामे देने से चूक जाता है तो तय दर पर उसका टीडीएस काट लिया जाएगा। अगर टीडीएस कट जाए तो करदाता दो काम कर सकता है। चार्टर्ड अकाउंटेंट और एजीएसएम एडवाइजरी में बिजनेस पार्टनर राहुल अग्रवाल कहते हैं, ‘यदि करदाता पहली तिमाही में ये फॉर्म नहीं दे पाता है तो उसे पहला मौका मिलते ही ऐसा करना चाहिए ताकि उस वित्त वर्ष के दौरान और कर कटौती नहीं हो। बाद में कर रिटर्न दाखिल करते समय वह टीडीएस रिफंड का दावा कर सकता है।’
जरा ध्यान रहे
ये घोषणाएं दो तरह से की जा सकती हैं। टैक्समैन में उप महाप्रबंधक नवीन वाधवा का कहना है, ‘कागजी फॉर्म जमा किए जा सकते हैं या इलेक्ट्रॉनिक तरीके से सत्यापन के बाद ई-फाइलिंग की जा सकती है।’ वह आगे बताते हैं, ‘इन दोनों फॉर्मों में घोषणापत्र दाखिल करने के लिए पैन ही जरूरी नहीं है। यदि पैन और आधार को आपस में जोड़ा जा चुकेा है तो पैन के बजाय आधार का इस्तेमाल कर फॉर्म जमा किए जा सकते हैं। जिनके पास आधार है मगर पैन नहीं है, वे भी ऐसा कर सकते हैं।’ फॉर्म 15जी और 15एच में हलफनामे दाखिल करते समय वैध पैन के जिक्र का ध्यान रखें। यदि पैन अवैध हुआ तो हलफनामे को भी अवैध मान लिया जाएगा।
जरूरी जानकारी भी हमेशा तैयार रहनी चाहिए। आप जिस वित्त वर्ष के लिए हलफनामा दाखिल कर रहे हैं, उस वित्त वर्ष के लिए अपनी कुल अनुमानित आय भी आपको बतानी होगी। इसमें यह भी बताना होगा कि आय की जिस राशि के लिए आप हलफनामा दाखिल कर रहे हैं, वह कितनी है। आपको यह भी बताना होगा कि आप इस तरह के कितने फॉर्म जमा कर रहे हैं। साथ ही पिछले वर्ष में जितनी सकल आय राशि के लिए फॉर्म जमा किए गए थे, उसकी जानकारी भी देनी होगी।
अंत में यदि आप टीडीएस बचाने के लिए गलत हलफनामा देते हैं तो आकलन अधिकारी आपकी और भी जांच कर सकता है। आपको यह भी सुनिश्चित करना है कि बैंकों की जितनी शाखाओं में आपको ब्याज आय मिलती है, उन सभी में फॉर्म जमा किए जाएं। हां, टीडीएस तभी कटेगा, जब सभी शाखाओं पर मिलने वाला ब्याज तय सीमा से अधिक हो जाएगा।