प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पिछले दो सप्ताह में कम से कम एक दर्जन प्रवासी भारतीयों (एनआरआई) को नोटिस जारी किए हैं। ईडी ने प्रवासी भारतीयों को भेजे नोटिस में रकम के स्रोत और विदेशी परिसंपत्तियों की जानकारी मांगी है। ईडी इस बात की पड़ताल करना चाहता है कि कहीं इन लोगों ने विदेशी मुद्रा कानून का उल्लंघन तो नहीं किया है।
ईडी ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के अनुच्छेद 37 के तहत उक्त जानकारी मांगी हैं। आम तौर पर ईडी कोई जांच शुरू करने से पहले ही इस अनुच्छेद के तहत नोटिस भेजता है। प्रवासी भारतीयों को जुलाई के अंत और अगस्त के शुरू में नोटिस भेजे गए हैं। सूत्रों का कहना है कि दुनिया भर में कर चोरी और अन्य वित्तीय धांधली में नाम आने पर आयकर विभाग काला धन कानून के तहत इन लोगों की जांच कर रहा है। जिन लोगों को नोटिस भेजे गए हैं उनमें ज्यादातर मुंबई से ताल्लुक रखते हैं।
निदेशालय ने इन लोगों से सरकारी पहचान पत्र, कर भुगतान की प्रति, भारत एवं विदेश में मौजूद बैंक खातों की जानकारी, विदेशी कंपनियों एवं इनके साथ जुड़े लोगों, भारत एवं विदेश में चल एवं अचल संपत्तियों और उन संपत्तियों की जानकारी भी मांगी है, जिनमें संबंधित व्यक्ति अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता हैं। इसके अलावा इन लोगों को हाल में खींची गई तस्वीर, परिवार के सदस्यों की जानकारी आदि बताने के लिए भी कहा गया है।
सूत्रों ने कहा कि एजेंसी ने इन एनआरआई को पिछले दस वर्षों से लेकर अब तक का यह विवरण देने के लिए कहा है। एजेंसी ने यह कदम ऐसे समय में उठाया है, जब कई एनआरआई अपने निवास स्थान को लेकर स्थिति स्पष्टï करने की मांग कर रहे हैं। इनमें खास तौर पर ऐसे लोग हैं, जो दुबई, सउदी अरब, कुवैत और अन्य खाड़ी देशों से हैं, जहां नागरिकों को आय कर नहीं देना पड़ता है। इन लोगों को कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण भारत में ही अधिक समय गुजारना पड़ा था। फेमा के अनुसार अगर कोई व्यक्ति पिछले वित्त वर्ष के 182 दिन या इससे अधिक समय तक भारत में ही रहा है तो वह भारत का निवासी कहलाता है। हालांकि कुछ बातें लागू नहीं होती हैं। उदाहरण के लिए अगर लोग नौकरी के उद्देश्य से देश से बाहर जा रहे हैं तो उन पर यह प्रावधान लागू नहीं होगा। इसका मतलब हुआ कि देश में समय व्यतीत करने की अवधि के आधार पर निवास की स्थिति और आयकर कराधान का निर्धारण होता है। हालांकि सरकार ने मार्च में स्पष्ट किया था कि जिन लोगों पर दो बार कर लगाए गए हैं वे कर विभाग से इसकी शिकायत कर समाधान पा सकते हैं।
मगर जो लोग नागरिकों पर कर नहीं लगाने वाले देशों में रहते हैं, उन्हें तय अवधि से अधिक समय तक यहां रहने पर विदेश से अर्जित आय पर भारत में कर देना होगा। इसकी वजह यह है कि निर्धारित समय से अधिक अवधि तक रहने पर वह निवासी एवं साधारण निवासी (आरओआर) बन जाता है। इन नोटिसों में यह स्पष्टï नहीं है कि जो सूचनाएं मांगी गई हैं क्या वे निवास स्थान या अन्य कारणों से संबंधित हैं। हालांकि सूत्रों ने संकेत दिए हैं कि पहले भी ऐसे मामले दिखे हैं जब कई लोगों ने स्वयं को प्रवासी बता कर विदेश में अर्जित रकम पर कर नहीं चुकाया है।