बढ़ती महंगाई पर काबू पाने के लिए आरबीआई की ओर से उठाए गए कदम, कच्चे माल की बढ़ती कीमतें और तैयार वस्तुओं की मांग में कमी का असर औद्योगिक विकास पर भी पड़ रहा है।
यही वजह है कि छह प्रमुख उद्योगों- बिजली, सीमेंट, कोयला, इस्पात, कच्चा तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की विकास दर मई में घटकर 3.5 फीसदी पर आ गई। पिछले साल की समान अवधि में यह दर 7.8 फीसदी थी।
औद्योगिक उत्पादन में 26.7 फीसदी का योगदान देने वाले इन क्षेत्रों की विकास दर चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों (अप्रैल और मई) में घटकर 3.5 फीसदी पर आ गई, जबकि पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में यह 6.9 फीसदी थी। जानकारों का मानना है कि ढांचागत क्षेत्र की विकास दर में कमी आने से औद्योगिक उत्पादन पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में 10.17 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाले बिजली उत्पादन क्षेत्र की विकास दर इस साल मई में घटकर 2 फीसदी रह गई है, जो पिछले साल की समान अवधि में 9.3 फीसदी थी। हालांकि इस दौरान कोयला (8.3 फीसदी), इस्पात (5.2 फीसदी)और सीमेंट (3.8) ने बुनियादी ढांचा को कुछ सहारा दिया। कच्चे तेल का उत्पादन मई, 2008 में 3.2 फीसदी बढ़ा।