औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) जून में घटकर 3.7 प्रतिशत रह गया है। पिछले तीन महीने में यह आईआईपी का सबसे कम आंकड़ा है। मई में यह 5.2 प्रतिशत था। शुक्रवार को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों में यह सामने आया है। आधार ज्यादा होने के असर और विनिर्माण उत्पादन में सुस्ती के कारण इसमें कमी आई है।
विनिर्माण उत्पादन की वृद्धि दर घटकर 3.1 प्रतिशत रह गई है, जबकि बिजली और खनन पिछले माह से क्रमशः 4.2 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत बढ़ा है। जून 2022 में आईआईपी 12.6 प्रतिशत था।
वित्त वर्ष 24 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में आईआईपी वृद्धि 4.5 प्रतिशत रही है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 12.7 प्रतिशत थी।
आईआईपी के 23 विनिर्माण क्षेत्रों में खाद्य उत्पाद, बेवरिज, तंबाकू, टेक्सटाइल, अपैरल, लकड़ी, कागज उत्पाद, रसायन व अन्य सहित 14 क्षेत्र के उत्पादन में जून के दौरान संकुचन आया है।
बैंक आफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि खाद्य कपड़ा और इलेक्ट्रॉनिक्स में उल्लेखनीय मंदी के कारण आईआईपी वृद्धि जून में कम रही है, जबकि बुनियादी ढांचा उद्योग का बेहतर प्रदर्शन रहा है। उन्होंने कहा, ‘इलेक्ट्रॉनिक्स का प्रदर्शन निराशाजनक है क्योंकि यह उद्योग पीएलआई का लाभ उठाने में अग्रणी रहा है।’
इन्फ्रास्ट्रक्चर के सामान की वृद्धि दर 11.3 प्रतिशत रही है, जबकि प्राथमिक वस्तुओं व मध्यस्थ वस्तुओं की वृद्धि दर क्रमशः 5.2 प्रतिशत और 4.5 प्रतिशत रही है। रोजमर्रा इस्तेमाल की उपभोक्ता वस्तुओं सहित गैर टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं की वृद्धि दर 1.2 प्रतिशत के सुस्त स्तर पर रही है, जबकि टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं में 6.9 प्रतिशत का संकुचन आया है। इससे खपत एवं मांग में ठहराव का पता चलता है।
सबनवीस ने कहा, ‘विनिर्माण क्षेत्र के लिए तीसरी तिमाही अहम होगी, क्योंकि इस तिमाही में त्योहारी मांग की वजह से वृद्धि को बल मिलेगा। इसमें शहरी और ग्रामीण दोनों मांग अहम है। खरीद की शक्ति में महंगाई निश्चित रूप से व्यवधान बनेगी।’
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने कहा कि वैश्विक वृद्धि नीचे जाने का जोखिम बना हुआ है, जिसकी वह से बाहरी मांग कमजोर बने रहने की संभावना है।
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि जुलाई में आईआईपी वृद्धि 4 से 6 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है, कयोंकि पेट्रोल और डीजल की बिक्री, ईवे बिल का सृजन, कोल इंडिया का उत्पादन, प्रमुख बंदरगाहों पर कार्गो की आवाजाही, रेल की माल ढुलाई और बिजली उत्पादन में जून 2023 की तुलना में जुलाई 2023 में सुधार आया है।