बजाज फिनसर्व के चेयरमैन और उद्योग संगठन भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के नए अध्यक्ष संजीव बजाज ने आज कहा कि कच्चे तेल के वैश्विक दाम के 3 परिदृश्यों में भारत के सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर वित्त वर्ष 2023 में 7.4 प्रतिशत से 8.2 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है।
संवाददाताओं से संक्षिप्त बातचीत में बजाज ने यह भी कहा कि सरकार को शिक्षा और स्वास्थ्य पर अपना बजट लगातार बढ़ाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जीएसटी परिषद की तर्ज पर बिजली, भूमि, श्रम और कृषि जैसे क्षेत्रों के लिए अंतरराज्यीय निकाय बनाने की जरूरत है।
बजाज ने कहा कि सीआईआई को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 23 में वृद्धि दर 7.4 प्रतिशत रहेगी, अगर कच्चे तेल की कीमत औसतन 110 डॉलर प्रति बैरल रहती है, जो निराशाजनक परिदृश्य है। अगर मौजूदा परिदृश्य रहता है और कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के आसपास रहती हैं तो जीडीपी वृद्धि 7.8 प्रतिशत रह सकती है। वहीं आशावादी परिदृश्य के हिसाब से देखें कि तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल रहती है तो जीडीपी वृद्धि 8.2 प्रतिशत रह सकती है। बजाज ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि जीडीपी वृद्धि आशावादी परिदृश्य के आसपास रहेगी।
यूक्रेन के प्रतिरोध के कारण रूसी सेना को गहरा झटका लगा है और चीन में कोविड-19 के कारण लॉकडाउन जारी है, ऐसे में सोमवार को कच्चे तेल की कीमतें करीब 109 डॉलर प्रति बैरल रहीं।
बजाज ने कहा, ‘परिदृश्य कच्चे तेल के वैश्विक दाम पर निर्भर है। वैश्विक असर और महंगाई घरेलू व बाहरी क्षेत्र के तेज नीतिगत सुधारों पर विपरीत असर डाल रही हैं।’
बजाज ने कहा कि सरकार के पूंजीगत व्यय, निजी क्षेत्र के निवेश में आगे आने वाली तेजी और कुछ क्षेत्रों में मजबूत मांग व पीएलआई से मदद मिलने, बेहतर मॉनसून की उम्मीद के बीच बेहतर कृषि की संभावना व निर्यात की सकारात्मक स्थिति से वृद्धि को समर्थन मिलेगा।
बजाज ने कहा कि महंगाई के दबाव का असर कम करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारों को पेट्रोल व डीजल पर लगने वाले करों में कटौती करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को 2025 तक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर व्यय जीडीपी के 1.3 प्रतिशत से बढ़ाकर 2.5 से 3 प्रतिशत तक करने व सार्वजनिक शिक्षा पर व्यय बढ़ाकर 6 प्रतिशत करना चाहिए, जो अभी 4.4 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि महंगाई कम करने का तात्कालिक तरीका यह है कि ईंधन पर कर कम किया जाना चाहिए, जिसकी पेट्रोल व डीजल की खुदरा कीमत में बड़ी हिस्सेदारी है।
