वित्त मंत्रालय ने शुक्रवार को जारी 2023-24 की अर्धवार्षिक समीक्षा में कहा है कि घरेलू आर्थिक गति और स्थिरता, इनपुट लागत के कम से मध्यम दबाव और नीतिगत निरंतरता से भारत को महंगाई के वैश्विक दबाव और आपूर्ति श्रृंखला में आई बाधाओं से मुकाबला करने मे मदद मिली है।
समीक्षा में कहा गया है कि सरकार की विवेकपूर्ण राजकोषीय नीति और तात्कालिक जरूरतों के मुताबिक व्यय की प्राथमिकता तय करने से वैश्विक अस्थिरता के दबाव से बचने में मदद मिली है। इससे उत्पादक पूंजीगत व्यय से समझौता किए बगैर भारत की आर्थिक वृद्धि की संभावनाओं को समर्थन मिला है।
वित्त मंत्रालय ने कहा है कि भारत की अर्थव्यवस्था आसानी से वित्त वर्ष 24 में 6.5 प्रतिशत से ऊपर वृद्धि दर हासिल कर लेगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि अक्टूबर और नवंबर 2023 के भारत के प्रमुख संकेतकों से वित्त वर्ष 23 की तीसरी तिमाही में तेज आर्थिक गतिविधियों का पता चलता है, जो चौथी तिमाही में जारी रह सकती है।
वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिकी डॉलर व अन्य प्रमुख मुद्राओं की तुलना में भारतीय रुपये की तुलनात्मक रूप से स्थिरता और पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार से उम्मीदें और बढ़ी हैं।
आर्थिक मामलों के विभाग द्वारा जारी समीक्षा में कहा गया है कि वृद्धि व स्थिरता को जोखिम मुख्य रूप से विदेश से है।
समीक्षा में कहा गया है, ‘वित्त वर्ष 23 की दूसरी तिमाही में उम्मीद से बेहतर वृद्धि और वित्त वर्ष 24 की पहली छमाही में भारत के सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने से वृद्धि की उम्मीदों को बल मिला है और इससे विभिन्न घरेलू व विदेशी एजेंसियां वित्त वर्ष 24 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान बढ़ाने को प्रेरित हुई हैं।’
वित्त वर्ष 24 की दूसरी तिमाही में भारत की रियल जीडीपी दर 7.6 प्रतिशत बढ़ी है।
डीईए ने समीक्षा में कहा है कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की आवक मध्यावधि के हिसाब से शुरू होने की संभावना है। सरकार के मजबूत समर्थन, स्थिर व्यापक आर्थिक वातावण और भारत की बढ़ती वृद्धि एफडीआई आने के लिए परिस्थितियां तैयार कर रही हैं। इसमें यह भी कहा गया है, ‘इसका असर अक्टूबर 2023 में एफडीआई की आवक से भी पता चलता है।’
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के शुद्ध एफडीआई की आवक पर बाहरी वजहों जैसे रूस यू्क्रेन युद्ध से उपजा संकट, वैश्विक संरक्षणवाद में बढ़ोतरी, ब्याज दर में तेजी, सिंगापुर, अमेरिका और ब्रिटेन के रियल जीडीपी वृद्धि में गिरावट आदि का असर पड़ा है।