विदेशों में रह रहे भारतीय इस बार अपने देश पर ज्यादा मेहरबान दिखे। वर्ल्ड बैंक ने डेटा रिलीज कर बताया है कि पिछले साल के मुकाबले इस बार 12.3 फीसदी ज्यादा रकम भारत भेजी गई, जो कि देश के सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP का 3.4 फीसदी है। इसके साथ ही भारत भेजी जाने वाली रकम (inward remittances) अब 125 अरब डॉलर हो गई है, जो कि साल 2022 में 111.22 अरब डॉलर थी।
भारत में जिस तरह से पैसे भेजे जा रहे हैं, अब यह अनुमान जताया जा रहा है कि यह पिछले साल के मुकाबले 14 अरब डॉलर की बढ़ोतरी के पूर्वानुमान का रिकॉर्ड तोड़ देगा।
वर्ल्ड बैंक ने माइग्रेशन ऐंड डेवलपमेंट ब्रीफ (Migration and Development Brief) के तहत सोमवार को आंकड़े जारी किए जिसमें बताया कि दुनियाभर में सबसे ज्यादा पैसा भारत में भेजा गया। जिसके बाद मेक्सिको का नंबर आता है। मेक्सिको को 67 अरब डॉलर और चीन को 50 अरब डॉलर रुपये मिले हैं।
भारत को सबसे ज्यादा रकम मिलने के कारण साउथ एशिया में विदेशों से आने वाले पैसों का आंकड़ा बढ़ गया है। तेज रफ्तार से ग्रोथ की बात की जाए तो डेटा के मुताबिक, रेमिटेंस की बढ़ोतरी लैटिन अमेरिका और कैरेबियन देशों में सबसे ज्यादा 8 फीसदी हुई, इसके बाद साउथ एशिया में 7.2 फीसदी और पूर्वी एशिया और प्रशांत में 3 फीसदी रही। वर्तमान में साउथ एशिया में भेजे जाने वाले कुल रेमिटेंस में भारत की हिस्सेदारी 66 फीसदी है, जबकि 2022 में यह 63 फीसदी थी।
निम्न और मध्यम आय वाले देशों (LMIC) को कुल रेमिटेंस 2023 में अनुमानित 3.8 फीसदी बढ़ गया। विश्व बैंक ने कहा कि 2024 में इसके 3.1 प्रतिशत आने की उम्मीद है। इसकी मुख्य वजह यह है कि विदेशों में रह रहे लोगों को वैश्विक मंदी और कम ग्रोथ रेट के कारण इनकम में गिरावट आने की आशंका है।
इसके अलावा, पिछले 10 सालों में भारत में आने वाला रेमिटेंस 78.5 प्रतिशत बढ़ गया है। 2013 में ये 70.38 अरब डॉलर थे। भारत में आने वाले रेमिटेंस ने 2022 में 100 अरब डॉलर का आंकड़ा पार कर लिया था क्योंकि भारत आने वाली रकम 24.4 फीसदी बढ़कर 111.22 अरब हो गई थी।
भारत में बढ़ते रेमिटेंस की मुख्य वजह उच्च आय वाले देशों में महंगाई दर और मजबूत श्रम बाजारों में गिरावट थी। इसके कारण अमेरिका, इंगलैंड और सिंगापुर में काम कर रहे भारतीयों ने जमकर पैसे भेजे। इन तीनों देशों में रहने वाले भारतीयों ने जितना पैसा भेजा वह पूरे रेमिटेंस का 36 फीसदी हिस्सा था।
एक अन्य कारक खाड़ी सहयोग परिषद (GCC), विशेष रूप से संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से उच्च प्रवाह था, जो भारत के कुल रेमिटेंस का 18 फीसदी है। भारत में आने वाला रेमिटेंस सबसे ज्यादा अमेसरिका से है। उसके बाद UAE का नंबर आता है।
रिपोर्ट में कहा गया है, ‘भारत में रेमिटेंस फ्लो को सीमा पार लेनदेन के लिए लोकल करेंसी के उपयोग को बढ़ावा देने और भुगतान और मैसेजिंग सिस्टम को इंटरलिंक करने के लिए सहयोग के लिए एक फ्रेमवर्क स्थापित करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात के साथ फरवरी 2023 के समझौते से विशेष रूप से फायदा हुआ।’
रिपोर्ट में कहा गया, ‘सीमा पार लेनदेन में दिरहम और रुपये का उपयोग औपचारिक चैनलों के माध्यम से ज्यादा रेमिटेंस को बढ़ाने में फायदेमंद होगा।’