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भारतीय अर्थव्यवस्था बाह्य नकारात्मक असर से अछूती नहीं : आरबीआई रिपोर्ट

Last Updated- December 11, 2022 | 7:46 PM IST

भारत उस भू-राजनीतिक तनाव से उत्पन्न झटकों का कंपन्न झेल रहा है, जिसने आपूर्ति को अवरुद्ध करदिया है और जिंसों के दामों में इजाफा किया है, खास तौर पर खाद्य और ऊर्जा की कीमतों में। इससे मुद्रास्फीति का दबाव बना है। अर्थव्यवस्था की मासिक स्थिति पर भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में सोमवार को यह जानकारी दी गई।
रूस-यूक्रेन युद्ध के घरेलू प्रभाव पर रिपोर्ट में कहा गया है कि मुद्रास्फीति और भुगतान संतुलन की वृद्धि में युद्ध और प्रतिकारी प्रतिबंधों का परिणाम पहले से ही स्पष्ट है। इसमें कहा गया है कि भारतीय अर्थव्यवस्था इन बाह्य नकारात्मक प्रभावों से अछूती नहीं है। जिंसों की कीमतों में उछाल पहले ही मुद्रास्फीति का जोखिम पैदा कर रहा है, खास तौर पर बढ़ते आयात के जरिये। रिपोर्ट में कहा गया है कि पोर्टफोलियो पूंजी बहिर्वाह के साथ-साथ तेजी से बढ़ते व्यापार और चालू खाते के घाटे का बाहरी स्थिरता पर असर पड़ता है, हालांकि अंतर्निहित बुनियादी चीजों की ताकत और अंतरराष्ट्रीय भंडार का स्टॉक प्रतिरोध प्रदान करता है।
खाद्य और पेय पदार्थों की बढ़ती कीमतों ने मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति को सात प्रतिशत के पास पहुंचा दिया, जो केंद्रीय बैंक के छह प्रतिशत के ऊपरी उदार क्षेत्र से काफी अधिक है। वैश्विकतनाव के परिणामस्वरूप वर्ष 2014 के बाद से पहली बार कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय दाम प्रति बैरल 100 डॉलर का स्तर पार कर गए। इसने अप्रैल की समीक्षा बैठक में आरबीआई की छह सदस्यों वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) को अपना ध्यान सहायक वृद्धि से हटाकर मुद्रास्फीति से निपटने पर केंद्रित करने के लिए विवश कर दिया।
हालांकि एमपीसी ने ब्याज दर और नीति के रुख को अपरिवर्तित रखा तथा यह दिखाया कि उसका ध्यान उदार रुख वापस लेने पर होगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत इन चुनौतियों का सामना व्यापक टीकाकरण, वित्तीय क्षेत्र के लचीलेपन, दमदार निर्यात और भुगतान तथा  बुनियादी ढांचे पर पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देने के लिए राजकोषीय पुनर्मूल्यांकन से निर्मित होने वाली ताकत की स्थिति से करता है।

First Published - April 19, 2022 | 12:45 AM IST

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