वाहन विनिर्माताओं के संगठन (सायम) के 63वें वार्षिक सम्मेलन के दौरान भारतीय वाहन उद्योग और सरकार ने वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देने के लिए करीबी से काम करने के लिए सहमति जताई है। उनका लक्ष्य साल 2070 के निर्धारित समय से पहले शून्य कार्बन उत्सर्जन तक पहुंचने का है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वाहन उद्योग से पेट्रोल और डीजल जैसे पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित होने वाले ईंधन वाले वाहनों से दूरी बनाने और पर्यावरण के अनुकूल विकल्पों को बढ़ावा देने का आग्रह किया है। उन्होंने उद्योग को जैव ईंधन, इलेक्ट्रिक वाहन और हाइड्रोजन से चलने वाली गाड़ियों के उपयोग को और तेजी से बढ़ाने पर जोर दिया।
यात्री वाहनों में डीजल का उपयोग साल 2014 के 53 फीसदी से कम कर साल 2023 में 18 फीसदी करने के उद्योग के प्रयासों के लिए भी गडकरी ने आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस आंकड़े को लगातार बरकरार रखने के लिए प्रोत्साहित किया।
साथ ही उन्होंने वाहन कंपनियों को चेतावनी भी दी कि अगर उद्योग आगे प्रगति नहीं करता है तो फिर सरकार कड़ी नीतियां लागू कर सकती हैं। गडकरी ने कहा, ‘डीजल वाहनों की हिस्सेदारी कम करें नहीं तो सरकार को 10 फीसदी का अतिरिक्त प्रदूषण कर लगाना पड़ेगा।’
सायम के प्रेसिडेंट और वोल्वो आयशर वाणिज्यिक वाहनों के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी विनोद अग्रवाल ने बेहतर कल को सुनिश्चित करने के लिए टिकाऊ गतिशीलता की अनिवार्य जरूरतों को भी रेखांकित किया।
उन्होंने निरंतरता के छह स्तंभों पर भी प्रकाश डाला, जिस पर वाहन उद्योग और सायम फिलहाल सरकार के साथ मिल कर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। ये छह स्तंभ, जैविक पहल, विद्युतीकरण, गैस गतिशीलता, हरित हाइड्रोजन, चक्रियता और अंतत) सुरक्षित सफर हैं। उन्होंने उद्योग द्वारा अपनी स्थानीयकरण सामग्री को बढ़ाने के लिए की गई प्रगति के बारे में भी जानकारी दी।
वैकल्पिक ईंधन की लागत आम तौर पर कम होती है और इससे कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डायऑक्साइड, धुआं आदि हानिकारक गैसों का उत्सर्जन भी कम होता है। सायम के उपाध्यक्ष और टाटा मोटर यात्री वाहन तथा टाटा पैसेंजर इलेक्ट्रिक मोबिलिटी के प्रबंध निदेशक शैलेश चंद्रा ने कहा, ‘सायम ने जैव ईंधन और हरित ऊर्जा पर केंद्रित भविष्य के लिए एक सक्रिय यात्रा की शुरुआत की है।’
गडकरी ने वाहन उद्योग से इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) का उत्पादन बढ़ाने का भी आग्रह किया। उन्होंने कहा कि भारत में ईवी की बिक्री साल 2030 तक 1 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है। केंद्रीय मंत्री ने उद्योग से हरित हाइड्रोजन की ओर बढ़ने का भी आग्रह किया। गडकरी ने यह भी कहा कि सरकार ईवी से बिजली की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए थर्मल, हाइड्रो, पवन, परमाणु और भू-तापीय ऊर्जा पैदा करने पर काम कर रही है।