अर्थव्यवस्था

भारत अच्छा प्रदर्शन करेगा, सुधार जारी रखने की जरूरत: OECD के मुख्य अर्थशास्त्री ने Interview में कई मुद्दों पर की चर्चा

Alvaro Santos Pereira, Chief Economist of Organisation for Economic Co-operation and Development (OECD)

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रुचिका चित्रवंशी   
Last Updated- October 07, 2024 | 11:04 PM IST

ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकनॉमिक को-ऑपरेशन ऐंड डेवलपमेंट (ओईसीडी) के मुख्य अर्थशास्त्री अल्वारो सैंटोस परेरा ने रुचिका चित्रवंशी को साक्षात्कार में बताया कि भारत के पास अगले कुछ वर्षों और दशकों में बेहद मजबूत वृद्धि दर को जारी रख रखने के लिए सभी कुछ है। उन्होंने कौटिल्य इकॉनमिक कॉन्क्लेव के इतर कहा कि भारत को शिक्षा, कौशल विकास को प्राथमिकता देने तथा निवेश आकर्षित करने के लिए कारोबारी माहौल में सुधार, अनौपचारिकता को कम करने, अर्थव्यवस्था में एफडीआई का रास्ता और आसान बनाने की जरूरत है। बातचीत के अंश:

पश्चिम एशिया के जारी संकट का विश्व और भारत की विकास संभावनाओं पर पड़ने वाले असर लेकर आप कितने चिंतित हैं?

हमें मालूम है कि बीते एक साल से जारी रुकावटों से शिपिंग लागत में 60 प्रतिशत की वृद्धि हो चुकी है। यदि टकराव महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ता है तो व्यापार और ऊर्जा के मूल्य पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा। लिहाजा हम आशा करें कि ऐसा न हो। यदि ऐसा होता है तो इसका ऊर्जा और अन्य वस्तुओं के आयातक देशों के व्यापार पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। इसका विशेषतौर पर व्यापार की लागत पर असर पड़ेगा।

भारत का 2047 तक विकसित देश बनने का लक्ष्य कितना संभव है। क्या आपको लगता है कि इसके मध्यम आय समूह में फंसने का खतरा है?

मैं भारत के मध्यम आय समूह में फंसने को लेकर चिंतित नहीं हूं। भारत के पास वह सभी कुछ है जिसके आधार पर वह अगले कुछ वर्षों और दशकों में बेहद मजबूत दर को जारी रख सकता है। बीते 10 वर्षों में महत्त्वपूर्ण सुधार हुए हैं। इन क्षेत्रों में जीएसटी, दिवालिया कानून, बैंकों की की दिवालिया व्यवस्था, बैंकिंग सुधार, बेहतर होता श्रम बाजार, प्रतिस्पर्धी संघवाद को बढ़ावा देना आदि शामिल हैं। सबसे बड़ी बात, आधारभूत ढांचे में निरंतर सुधार हो रहा है।

इसमें भी यह और खास बात है कि सुधारों को आगे बढ़ाने की इच्छा दिख रही है। मैं यहां जबरदस्त ढंग से आगे बढ़ने की ललक, उद्यमिया की भावना और सुधार का रवैया देखता हूं जो मैं कई अन्य देशों में नहीं दिखता। यह भारत के लिए बेहद अच्छा संकेत है। लिहाजा मेरा अनुमान है कि भारत निरतंर बेहतर करना जारी रखेगा लेकिन उसे सुधार के पथ पर आगे बढ़ने की जरूरत है।

ऐसे कौन से सुधार हैं जिन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है?

शिक्षा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। आपके पास बेहद युवा श्रम बल है और काफी युवा जनसंख्या है। आगे चलकर कौशल और शिक्षा में सुधार महत्त्वपूर्ण साबित होगा। ये ऐसे क्षेत्र हैं जिन पर संघ और राज्यों की सरकारों, दोनों को काम करना होगा। एक अन्य क्षेत्र कारोबारी माहौल को सुधारकर ज्यादा आकर्षक बनाना है। संकेतकों के संदर्भ में बात करें तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर अंकुश कम हो रहे हैं लेकिन यह अब भी अन्य देशों की तुलना में सख्त हैं। सेवा व्यापार में कई तरह के अंकुश के मामले भी ऐसा ही है।

भारत को अधिक निवेश आकर्षित करने के लिए लाइसेंसिंग और परमिट पर काम करने की जरूरत है। आप वर्ष 1991 में लाइसेंस राज को खत्म करने के बाद लंबा रास्ता तय कर चुके हैं, जब लाइसेंस देने के लिए आपके पास 80 एजेंसियां थीं और जो किसी दु:स्वप्न से कम नहीं था। मैं बता चुका हूं आप विनियमन की जटिलता कम कर सकते हैं और लोगों को कारोबार करने के लिए लाइसेंस आसान कर सकते हैं। मैं सोचता हूं कि एक अन्य बेहद महत्त्वपूर्ण क्षेत्र अनौपचारिकता को घटाना है।

क्या उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को समाप्त किया जाना चाहिए?

आपको निवेशकों के लिए भारत में निवेश आकर्षण बढ़ाने की जरूरत है। भारत के पास शेष विश्व को निर्यात करने के लिए केंद्र बनने की सभी विशेषताएं हैं।

First Published : October 7, 2024 | 11:04 PM IST