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सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल का केंद्र बनेगा भारत

भारत के पास सालाना 190 से 240 लाख टन सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल उत्पादन के लिए कच्चा माल है।

Last Updated- September 14, 2023 | 5:31 PM IST
No international sanctions on buying Russian crude, says Hardeep Singh Puri

पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने बिजनेस स्टैंडर्ड से बाचतीत में कहा कि हाल में हुआ वैश्विक जैव ईंधन गठजोड़ (जीबीए) भारत को पर्यावरण के सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल (एसएएफ) के उत्पादन और निर्यात का केंद्र बना सकता है और यह भारत को इस सेक्टर के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक तय करने का मौका दे सकता है।

उन्होंने कहा, ‘भारत के पास सालाना 190 से 240 लाख टन एसएएफ उत्पादन के लिए कच्चा माल है। अगर 50 प्रतिशत मिश्रण के हिसाब से देखा जाए तो देश में एसएएफ की अनुमानित रूप से अधिकतम जरूरत 2030 तक करीब 80 से 100 लाख टन सालाना होगी।’

बहरहाल घरेलू मांग भी ज्यादा होगी। भारत सभी घरेलू वाणिज्यिक वाहनों की उड़ान में अगले 2 साल में 1 प्रतिशत एसएएफ मिलाना अनिवार्य करने पर विचार कर रहा है। मंत्री ने कहा, ‘लीटर के आधार पर गणना करने पर भारत को 2025 तक सालाना 1,400 लाख लीटर के करीब एसएएफ की जरूरत होगी, अगर जेट ईंधन में 1 प्रतिशत एसएएफ मिलाया जाए। वहीं अगर 5 प्रतिशत एसएएफ मिलाया जाए तो भारत को करीब 7,000 लाख लीटर सालाना जरूरत होगी।’

ऊर्जा संबंधी ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में विमान ईंधन की हिस्सेदारी वैश्विक रूप से 2 प्रतिशत है। बहरहाल परंपरागत जेट ईंधन की तुलना में एसएएफ में इस तरह का उत्सर्जन 80 प्रतिशत तक कम कर देने की क्षमता है। उन्होंने कहा, ‘अपनी भौगोलिक स्थिति के कारण यूएई और सिंगापुर जैसे देश उत्पादन नहीं करेंगे। ऐसे में भारत के पास एसएएफ के मानक स्थापित करने का अवसर है और इसका लाभ लिया जा सकता है।’

बदलता परिदृश्य

विमानन उद्योग में कार्बन फुटप्रिंट घटाने की कवायद के तहत अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीओ) ने 2050 तक सालाना ईंधन कुशलता में 2 प्रतिशत सुधार करने के लक्ष्य को स्वीकार किया है। संगठन यह भी चाहता है कि 2020 और उसके बाद कार्बन न्यूट्रल वृद्धि और 2050 तक नेट जीरो का लक्ष्य हासिल किया जा सके।

एसएएफ का स्थानीय उत्पादन अहम है क्योंकि भारत की एयरलाइंस को 2027 से अंतरराष्ट्रीय उड़ानों से उत्पन्न कार्बन उत्सर्जन की भरपाई करनी होगी। यह आईसीएओ द्वारा शुरू की गई ग्लोबल ऑफसेटिंग ऐंड रिडक्शन स्कीम फॉर इंटरनैशनल एविएशन (सीओआरएसआईए) योजना का हिस्सा है।

इस योजना को 3 चरणों में लागू किया जाना है। पहले 2 चरणों में 2021 से 2026 के बीच स्वैच्छिक भागीदारी की अनुमति दी गई है। भारत ने इन चरणों मे हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है। स्थानीय कैरियरों को उस तिथि के बाद अपने अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धियों का अनुसरण करना होगा।

मई में पुरी ने स्वदेश उत्पादित एसएएफ 1 प्रतिशत मिलाकर पहली घरेलू उड़ान का उद्घाटन किया था। घरेलू कंपनियां पहले से ही एसएएफ का उत्पादन कर रही हैं। सरकारी कंपनी आईओसीएल ने औद्योगिक बायोटेक्नोलॉजी कंपनी प्राज इंडस्ट्रीज के साथ समझौता किया है, जिसने इस उड़ान के लिए एसएएफ का उत्पादन किया था।

First Published - September 13, 2023 | 11:14 PM IST

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