अमेरिका से द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर होने वाली बातचीत में भारत चाय, कॉफी, श्रीअन्न, बासमती चावल जैसे जैविक उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए परस्पर मान्य करार पर जोर दे सकता है। इस मामले के जानकार एक सूत्र ने यह जानकारी दी।
परस्पर मान्य समझौतों (एमआरए) के तहत देश एक-दूसरे के मानकों और प्रमाणीकरण की प्रक्रिया को स्वीकार करते हैं। इसके पीछे व्यापक सोच लागत कम करना और व्यापार को बढ़ावा देना है। इस मामले की जानकारी देने वाले व्यक्ति ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘अमेरिका के साथ भारत निरंतर एमआरए पर जोर दे रहा है ताकि बासमती चावल, चाय, कॉफी, श्रीअन्न जैसे ऑर्गेनिक उत्पादों और आवश्यक तेलों का निर्यात बढ़ाया जा सके।
लिहाजा बीटीए वार्ता के दौरान एमआरए पर जोर दिया जा सकता है।’भारत के ऑर्गेनिक निर्यात का सबसे बड़ा बाजार अमेरिका ही है। इसके बाद यूरोपियन संघ का स्थान है। कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) के आंकड़ों के अनुसार भारत ने वित्त वर्ष 24 में अमेरिका को 24 करोड़ डॉलर मूल्य के सामान का निर्यात किया।
भारत और अमेरिका बीते कुछ वर्षों से जैविक खाद्य को लेकर एमआरए पर चर्चा कर रहे हैं। यदि यह समझौता अंतिम रूप ले लेता है तो इससे न केवल ऑर्गेनिक उत्पादों का निर्यात आसान हो जाएगा बल्कि अनुपालन की लागत और जरूरत कम होगी। इंडियन कौंसिल फॉर रिसर्च ऑन इंटरनेशनल इकनॉमिक रिलेशन्स (आईसीआरआईईआर) की प्रोफेसर अर्पिता मुखर्जी के मुताबिक पहले ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग मुख्यतौर पर विदेश से आती थी और ऐसे उत्पादों की घरेलू मांग सीमित थी। इसका परिणाम यह था कि साझेदार देश प्रमाणन को एकतरफा मान्यता दे देते थे ताकि भारत ऑर्गेनिक उत्पादों का निर्यात कर सके।
मुखर्जी ने बताया, ‘लेकिन अब ऑर्गेनिक उत्पादों की मांग बढ़ने के कारण व्यापार साझेदार भी इनका निर्यात भारत को करना चाहते हैं। इसके परिणामस्वरूप हमें एमआरए पर हस्ताक्षर करने के साथ अपनी आयात प्रक्रिया को भी सुचारू करना होगा। हमें इसके लिए प्रमाणन एजेंसियों और प्रयोगशाला जांच की आवश्यकता होगी।’
भारत और अमेरिका ने बीत माह परस्पर लाभ वाले बीटीए को जल्द ही अंतिम रूप देने का इरादा जाहिर किया था। दोनों पक्षों ने फैसला किया था कि वे कृषि उत्पादों का व्यापार बढ़ाने के लिए एकजुट होकर काम करेंगे। वाणिज्य मंत्रालय क्षेत्रवार पहलुओं, व्यापारिक जटिलताओं और भारत के प्रमुख हितों को जानने के लिए विभिन्न सरकारी विभागों और मंत्रालयों से बातचीत कर रहा है।