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भारत राजकोषीय घाटे पर नियंत्रण रखने में सफल

Last Updated- December 06, 2022 | 12:45 AM IST

स्टैंडर्ड एंड पूअर रेटिंग सर्विसेज ने बीबीबी दीर्घ अवधि और ए-3 लघु अवधि की सोवेरेन क्रेडिट रेटिंग भारत के लिए घोषित की है।


दीर्घ अवधि की रेटिंग को स्थिर रखा गया है। इससे देश की मजबूत अर्थव्यवस्था का लक्ष्य, बाहरी बैलेंस शीट और पूंजी बाजार की गहराई का पता चलता है जो कमजोर लेकिन विकास कर रही राजकोषीय स्थिति का समर्थन करता है।


भारत का आर्थिक लक्ष्य मजबूत रहा है क्योंकि सेवा क्षेत्रों में यहां गतिशीलता बरकरार है। साथ ही औद्योगिक क्षेत्र में क्रमश: सुधार की गुंजाइश रही है और व्यापार में उदारीकरण चलता रहा है। इसकी एक वजह इंफ्रास्ट्रक्चर में हो रहा विकास भी माना जा रहा है। आर्थिक विकास का कारण यह भी बताया जा रहा है कि यहां खपत में वृद्धि हो रही है और निजी निवेश बढ़ता जा रहा है।


खपत में वृद्धि और निवेश के आकर्षित होने की वजह यह बताई जा रही है कि यहां मध्यवर्ग का काफी विकास हो रहा है और जनसंख्या अधिक होने के  कारण खपत भी बढ़ती ही जा रही है।


स्टैंडर्ड एंड पूअर की क्रेडिट विश्लेषक तकाहिरा ओगावा ने कहा कि भारत में राजकोषीय स्थिति सही होने की वजह यह है कि सरकार राजस्व का अच्छा संग्रह करती है और खर्च पर भी नियंत्रण रख पाने में सक्षम होती है। 2006 में केंद्र और राज्य सरकार का राजकोषीय घाटा 6.4 प्रतिशत था जो घटकर वर्ष 2007 में 5.5 प्रतिशत रह गया।

First Published - April 30, 2008 | 10:38 PM IST

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